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भारत-2 - भैषज्य रत्नाकरः
ल्हसनकी गिरी, कटेली और बासा १-१ सेर ले कर संत्रको एकत्र कूट कर ३२ सेर पानी में पकावें और जब ८ सेर पानी शेष रहे तो छान लें । तदनन्तर २ सेर घीमें २० तोले बीज रहित मुनक्का और २ सेर गायका दूध तथा ५-५ तोले लहसनका · स्वरस और बासेके पत्तोंका कल्क एवं उपरोक्त काथ मिला कर मन्दाग्नि पर पकायें । जब जलांश शुष्क हो जाए तो घृतको छान लें और ठण्डा होने पर उसमें १० तोले खांड, २० तोले दूध और २|| तोले बंसलोचनका चूर्ण मिला कर सबको मथनीसे मथ कर सोने या चांदी के पात्र में भर कर सुरक्षित रक्खें ।
यह घृत खांसी, श्वास, ज्वर, गुल्म, कृशता, छर्दि, अरुचि, हृद्रोग, पार्श्वशूल, क्षतक्षीणता, होदर, पाण्डु और शोथको नष्ट करता है तथा जीवन, वृंहण और वृष्य है ।
(६२७०) लशुनघृतम् (२) ( गं. नि. । परि. घृता. १ ) तुलां लशुनकन्दानां पृथक्पञ्चपलांशकम् । पञ्चमूलं महचाम्बुभारार्द्धे तद्विपाचयेत् ॥ पादशेषं तदर्द्धेन दाडिमस्वरसं सुराम् । धान्याम्लं दधि चादाय पिष्टांश्चार्द्धपलांशकान् त्र्यूषणत्रिफलाहिङ्गुयवानोचव्यदीप्यकान् । साम्लवेतस सिन्धूत्य देवदारून् पचेद्धृताद् ॥ तैः प्रस्थं तत्परं सर्ववातगुल्म विकारजित् ॥
लहसन ६ | सेर तथा बेलछाल, स्योनाक छाल, खम्भारी छाल, पाढलछाल और अरणी २५२५ तोले ले कर सबको एकत्र कूट कर ६४ सेर
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पानी में पकावें और १६ सेर पानी शेष रहने पर छान लें। तदनन्तर उसमें ८ सेर अनारका रस, ८ सेर शराब, ८ सेर कांजी, ८ सेर दही और २॥ - २॥ तोळे सोंठ, मिर्च, पीपल, हर्र, बहेड़ा, आमला, हींग, अजवायन, चव, अजमोद, अम्लवेत, सेंधा और देवदारुका कल्क एवं २ सेर घी मिला कर मन्दाग्नि पर पकावें । जब जलांश शुष्क हो जाय तो घृतको छान लें ।
यह घृत वातज गुल्मको नष्ट करता है । (६२७१) लशुनाद्यं घृतम् (१) ( च. सं. । चि. अ. १४ उन्मा. ) लभ्रुनानां शतं त्रिंशदभयात् त्र्यूषणात्पलम् । गवां चर्ममसीप्रस्थं द्वयाढकं क्षोरमूत्रयोः ॥ पुराणसर्पिषः मस्थमेभिः सिद्धं प्रयोजयेत् । हिङ्गुचूर्णपलं शीते दत्वा च मधुमानिकाम् ॥ तदोषामन्तुसम्भूतानुन्मादान् विषमज्वरान् ! अपस्मारांश्च हन्त्याशु पानाभ्यञ्जननावनैः ॥
कुटी हुई ल्हसनकी गांठ १०० नग, गुठली रहित पिसी हुई हर्र ३० नग, समान भाग मिलित सोंठ, मिर्च, पीपलका चूर्ण ५ तोले, गायके चमड़ेकी राख १ सेर, गोदुग्ध ८ सेर, गोमूत्र ८ सेर और पुराना २ सेर ले कर सबको एकत्र मिलाकर पकावें । जब जलांश शुष्क हो जाय तो घृतको छान लें। तदनन्तर उसके शीतल होने पर उसमें ५ तोले हींगका चूर्ण और १ सेर शहद मिला कर सुरक्षित रक्खें ।
यह घृत दोषज और आगन्तुक उन्माद, विषमज्वर और अपस्मारको नष्ट करता है ।
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