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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४२ भारत-भैषज्य रत्नाकरः [ मकारादि काली मिर्च, पीपल, पाठा, जवाखार, सोंठ, मिश्र देश की शुद्ध अफीम, और सेठि तथा इलायची, तेजपात, दालचीनी, हर्र, सेंधा नमक | सफेद चन्दनका महीन चूर्ण समान भाग ले कर और अम्लबेत समान भाग लेकर चूर्ण बनावें और सबको एकत्र घोट कर पानीकी सहायतासे ३-३ उसे शहद में मिला कर ( ३-३ माशेकी) | रत्ती की गोलियां बना लें। गोलियां बनालें। इन्हें चावलेोके पानीके साथ सेवन करनेसे यह गोलियां कण्ठरोगांका नाश करती हैं। अतिसार नष्ट होता है। ये गोलियां आमको पचाती (५१६६) मरिचाद्या गुटिका (२) . और मलको दूर करती हैं। ( ग. नि. । गुटिका. ४) (५१६८) मलयूफलमोदकम् मरिचपिप्पलीनागरचित्रकान् । (यो. र. । प्रदर.; वृ. नि. र. । स्त्री रोगा.) क्रमविवर्धितभागमुचूर्णितान् । मलयूफलचूर्णस्य शर्करासहितस्य च । शिखिचतुर्गुणमूरणयोजितान् मधुना मोदकं कृत्वा खादेत्प्रदरनाशनम् ॥ कुरु गुडेन गुडान् गुदजच्छिदे ॥ | कठूमर ( कठगूलर ) के फलांका चूर्ण और काली मिर्च १ भाग, पीपल २ भाग, | खांड समान भाग ले कर दोनोंको शहदमें मिला सोंठ ३ भाग, चीतामूल ४ भाग और कर ( १-१ तोले के ) मोदक वना लें। जिमीकन्द ( सूरण ) १६ भाग लेकर सबका सेवन करने से स्त्रियांका पटरोग नए महीन चूर्ण बनावें और उसे ( दो गुने ) गुड़में | हो जाता है। मिला कर (२-२ तोले के ) मोदक बना लें। महाकल्याणवटी इन्हें सेवन करनेसे अर्श नष्ट हो जाती है । रस प्रकरणमें देखिये । (५१६७) मलपाचनी गुटी महाकामेश्वरमोदकः ( र. प्र. सु. । अ. ८) मिश्रदेशजमतीव शुद्धकं (धन्व.; र. र.) नागफेनमपि नागरातृतम् । रस प्रकरणमें देखिये । घर्पितं तु वरचन्दनैयुतं (५१६९) महाक्षारवटी कारये वटिकां सुशोभनाम् ॥ (यो. र. । उपदंश) रक्तिकात्रयमितां च भक्षयेत् महाक्षारमाकल्लकं खादिरं च पाययेत्तदनु तन्दुलोदकम् । क्रमाद्वर्धित वारिणा पिष्टमेतत् । हन्ति चैवमतिसारकं सदा निषेवेत माषप्रमाणं घृतेन चामदोपमलनाशिनी भवेत् ॥ महारोगनिघ्नं व्रणेषु व्रणनम् ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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