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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तैलपकरणम् ] चतुर्थो भागः (५७९५) यष्टयादिघृतम् (४) विधि-६५ तोले धीमें उपरोक्त काथ तथा (३. मा.। आगन्तुद्रणा.) कल्क मिला कर पकावें । जब पानी जल जाए तो सद्यःक्षतं व्रणं वैद्यः सशूलं परिषेचयेत् ।। घीको छान लें। ___ यह घृत ऊर्ध्वजत्रुगत रोगोंको नष्ट यष्टीमधुकयुक्तेन किश्चिदुष्णेन सर्पिषा ॥ करता है। ___ मन्दोष्ण घृतमें मुलैठीका बारीक चूर्ण मिला (५७९७) यष्टयायं घृतम् कर उससे ताजे घावको तर करनेसे घावकी पीड़ा ( ग. नि. । बालरो.; वा. भ. । उ. अ. २) शान्त होती है। यष्टयाहपिप्पलीरोध्रपद्मकोत्पलचन्दनैः। (५७९६) यष्टयादिघृतम् (५) तालीससारिवाभ्यां च साधितं शोषजिघृतम्।। (वृ. मा.) कल्क-मुलैठी, पीपल, लोध, पनाक, कमल, यष्टीमधुबलारास्नादशमूलाम्बुसाधितम् ।। सफेद चन्दन, तालीस पत्र और सारिवा ५-५ मधुरैश्च घृतं सिद्धमूर्ध्वजत्रुगदापहम् ॥ तोले ले कर सबको एकत्र पीस लें। ___ काथ-मुलैठी, खरैटी, रास्ना आर दशमूलकी काथ-उपरोक्त कल्ककी ओषधियां १-१ प्रत्येक औषध १०-१० तोले ले कर सबको १३ सेर (मिलित ८ सेर ) ले कर सबको एकत्र कुट सेर पानीमें पकावें । जब ३। सेर पानी शेष रहे कर ६४ सेर पानीमें पकावें । जब १६ सेर पानी तो छान लें। शेष रह जाए तो छान लें। कल्क-जीवक, ऋषभक, मेदा, महामेदा, विधि-४ सेर घीमें उपरोक्त कल्क और काथ काकोली, क्षीरकाकोली, मुद्गपर्णा, माषपणीं मिला कर मन्दाग्नि पर पकावें । जब पानी जल जाए जीवन्ती और मुलैठी समान भाग मिश्रित १६। तोले | तो घीको छान लें। लेकर सबको एकत्र पीस लें। यह घृत बालकोंके शोषको नष्ट करता है। इति यकारादिघृतप्रकरणम् -DHAH अथ यकारादितैलप्रकरणम् (५७९८) यवादितैलम् (१) २ सेर तिलके तेलमें ४०० सेर (१० मन) (वै. क. द्रु. । स्क. २) काजी और १० तोले जौ तथा २॥ तोले मजीठका चूर्ण मिला कर पकावें । जब काञ्जी जल जाय तो यवचूर्णार्द्धकुडवं मञ्जिष्ठार्द्धपलेन तु । तेलको छान लें। तैलमस्थं शतगुणे काझिके साधितं जयेत् ॥ इसको मालिशसे ज्वर और प्रबल दाह तथा ज्वरं दाहं महावेगमङ्गानां च प्रहर्षनुत् ॥ । अंगोंका प्रहर्ष नष्ट होता है। For Private And Personal Use Only
SR No.020117
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages908
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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