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चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
[७३१)
संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण । संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण
चन्द्रमाके चांदनेमें ४२३९ पुष्पकासीसाद्यञ्जनम् पिल्लादि पक्ष्मरोग । पुस्तक पढ़नेकी ४२४० पुष्पहरीवर्तिः फूला ।
शक्ति प्राप्त होती है।। ४२४१ पुष्पाक्षादिरसक्रिया अर्म, काच, तिमिर, ४२२५ पारदाधानम् समस्त नेत्ररोग ना
अर्जुन। शक तथा दृष्टि- ४२४२ पोत्रीदन्तादिवतिः फूला। वर्धक।
४२४३ प्रकाशिका गुटिका नक्तान्ध्य, दिवान्ध्यता ४२२६ पारिजातादि योगः कफज नेत्र पीड़ा । ४२४६ प्रभावती
आंखकी खाज, ति४२२७ पालङ्कृयादि गुठिका तिमिर ।।
मिर, शुक्र, अर्म ४२२८ पाशुपतयोगः समस्त नेत्राभिष्यन्द,
और लाल रेखाएं। लालिमा, पीड़ा ४२४७ प्रवालाबञ्जनम् शुक्तिका। ४२२९ पिण्डानम् दृष्टिको स्वच्छ तथा
४२४८ प्रसादनाञ्जनम् नेत्रांको स्वच्छ कर
बलवती करता है। ४२३१ पिप्पल्यादि गुटिका अर्म, तिमिर, काच,
४७२२ बिभीतकादि वर्तिः पित्तज पटल रोग । कण्डू, शुक्र, अर्जुन,
४७२३ बिभीतमजादियोगः फूला
अजकाजात । ४७२४ बिल्वाञ्जनम् नेत्रोंकी सूजन, पीड़ा ४२३२ पिप्पल्यायञ्जवम् फूला।
अभिष्यन्द, अधि
मन्थ, सुर्थी। ४२३३ , , दृष्टिको गरुडके
४७२५ , ,
नेत्रस्राव इत्यादि। समान तीक्ष्ण करता
४७२७ बृहत्यादि वर्तिः वातज नेत्ररोग।
४७२८ बृहत्याधञ्जनम् ४२३४ " "
पिष्टक।
४९२२ मद्रमुस्ता योगः पुराना फूला, आं. ४२३६ , , रतौंधा, तिमिर,
खोकी लाली। आंखांकी खाज। ४९२३ भानुमति वर्तिः । तिमिर। ४२३७ पुण्डरीक योगः नेत्रशूल, नेत्रक्षत, | ४९२४ , "
नक्तान्ध्य, पिल्ल, पाकात्यय, अजका
तिमिर, नेत्रक्षत, ने जात।
त्रकण्डू। ४२३८ पुनर्नवा , आंखांकी खाज, | ४९२५ भास्कर चूर्णम् काच, नक्तान्ध्य, नेत्रस्राव, फूला,
तिमिर, आंखोकी तिमिर रतांधा।
लाल रेखा।
है।
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