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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [७२४] चिकित्सा-पथ-प्रदशिनी - - - - - संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण नस्य-भकरणम् ३३३५ धूम्रकेतु रसः नवीन ज्वर । ३५९३ नस्य भैरवः सन्निपात। ३६०१ नवज्वरमुरारि रसः नवीन ज्वर । ४७३० बृहत्याचं नस्यम् बेहोशी । ३६०२ नवज्वर रिपु ४७३१ ब्रह्मदण्डी , एकाहिक ज्वर। ३६०३ नवज्वरहरी वटी , , | ३६०४ नवज्वरहरो रसः नवीन ज्वरको १ ४९३० भस्मेश्वर रसः शिर, हृदय और पहरमें नष्ट कर नासिकाकी कफ देता है। वातज पीड़ा । ३६०५ नवज्वराङ्कुश , नवीन ज्वरको १ दिन में नष्ट कर रस-प्रकरणम् देता है। ३२०२ दाादि वटिका तरुणज्वर, जीर्ण- ३६०६ नवज्वरारि , नवीन ज्वर। ज्वर, विषमज्वर । । ३६०७ नवज्वरेभसिंह , घोर नवीन उधर, ३२०३ दाहज्वरघ्न वटी दाह, ज्वर । धातुगत ज्वर, ग्रहणी ३२०५ दिनज्वरप्रशमनीवटी दिनके समय आने । ३६१२ नव्यचन्द्र , नवीन ज्वरको १ वाला ञ्चर, सन्ताप, पहरमें नष्ट कर अग्निमांध । देता है। ३२१० दीपिका रसः समस्त ज्वर । ३६२३ नाग शीताङ्ग सन्निपात। ३२१५ दुर्जलजेता रसः दुर्जलदोष जनित १९ नारायणज्वरा शीतज्वर, सन्निपात, ज्वर, अजीर्ण, म. विषमज्वर । लावरोध, अफारा, ३६६२ नीलकण्ठ रसः ज्वर, श्वास, हिखांसी शूल। चकी, खांसी। ३२१८ देवभूति रसः भयङ्कर सन्निपात, (वामक है।) खांसी, श्वास, अ- | ४२६४ पश्चवक्त्र रंसः । सन्निपात । ग्निमांद्य, पाण्डु। । ४२६५ " " घोर सन्निपात, ३२२२ द्विभुजो रसः नवीन ज्वर। ( मृत्युञ्जय) कफ, विषमज्वर, ३३२६ धातुज्वराङ्कुशरसः धातुगत ज्वर, अ नवीनज्वर, अजीर्णजीर्ण, वातज खांसी, ज्वर, अग्निमांध । अरुचि । ! ४२७५ पश्चाननो रसः सर्व प्रकारके ज्वर । For Private And Personal Use Only
SR No.020116
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages773
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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