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चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
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(१) अजीर्ण तथा अग्निमान्द्याधिकारः संख्या प्रयोग नाम मुख्य गुण | संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण कषाय-प्रकरण
३९०७ पथ्याधं चूर्णम् ४ प्रकारका अजीर्ण, २८१८ दन्त्यादि कल्कः विसूचिका।
अग्निमांद्य, अफारा, २८७५ दीपनीय महाकषायः दीपन
अरुचि, शूल। (चरक)
४६२३ बिडलवणादिचूर्णम् अत्यन्त पाचक । ३२३६ धवादि काथः विषूचिकाका शूल, | ४८२७ भस्मार्क चूर्णम् आढयवात, अजीर्ण, आम ।
विसूचिका, आनाह, ३३९८ निम्बुरसादिप्रयोगः विसूचिका, वमन,
‘पाण्डु आदि । तृषा ।
४८३३ भास्करलवणचूर्णम् तिल्ली, उदर, अह१५८१ बिल्यादि काथः छर्दि, विसूचिका ।
णी, शूल, आम,
अग्निमांद्य आदि । चूर्ण-प्रकरणम् २९५७ दाडिमाचं चूर्णम् अग्निमांद्य, गुल्म,
गुटिका-प्रकरणम् ग्रहणी, अफारा, पा- | ३२८१ धनञ्जय वटी
अजीर्ण, शूल तथा व शूल ।
आध्मान नाशक,रो३८८० पञ्चकोलचूर्णयोगः मन्दाग्नि, आम, अ
चक, दीपक | रुचि । ३८८३ पञ्चमूल चूर्णम् अग्निमांद्य, शूल, अ
अवलेह-प्रकरणम् रुचि । ३८८८ पञ्चाग्नि चूर्णम् अग्निको दीप्त करता
३०२८ द्राक्षादि प्रयोगः विदग्धाजीर्ण ।
४८६८ भोजनान्तेऽवलेहः पाचक, स्वादिष्ट। ३८९९ पथ्यादि , अजीर्ण, शूल, विसूचिका।
घृतप्रकरणम् ३९०१ , अग्निको दीप्त करता ३०४४ दशमूलादिघृतम् अग्निमांद्य, प्रहणी,
विष्टम्भ, आम |
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