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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी -uniora (१) अजीर्ण तथा अग्निमान्द्याधिकारः संख्या प्रयोग नाम मुख्य गुण | संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण कषाय-प्रकरण ३९०७ पथ्याधं चूर्णम् ४ प्रकारका अजीर्ण, २८१८ दन्त्यादि कल्कः विसूचिका। अग्निमांद्य, अफारा, २८७५ दीपनीय महाकषायः दीपन अरुचि, शूल। (चरक) ४६२३ बिडलवणादिचूर्णम् अत्यन्त पाचक । ३२३६ धवादि काथः विषूचिकाका शूल, | ४८२७ भस्मार्क चूर्णम् आढयवात, अजीर्ण, आम । विसूचिका, आनाह, ३३९८ निम्बुरसादिप्रयोगः विसूचिका, वमन, ‘पाण्डु आदि । तृषा । ४८३३ भास्करलवणचूर्णम् तिल्ली, उदर, अह१५८१ बिल्यादि काथः छर्दि, विसूचिका । णी, शूल, आम, अग्निमांद्य आदि । चूर्ण-प्रकरणम् २९५७ दाडिमाचं चूर्णम् अग्निमांद्य, गुल्म, गुटिका-प्रकरणम् ग्रहणी, अफारा, पा- | ३२८१ धनञ्जय वटी अजीर्ण, शूल तथा व शूल । आध्मान नाशक,रो३८८० पञ्चकोलचूर्णयोगः मन्दाग्नि, आम, अ चक, दीपक | रुचि । ३८८३ पञ्चमूल चूर्णम् अग्निमांद्य, शूल, अ अवलेह-प्रकरणम् रुचि । ३८८८ पञ्चाग्नि चूर्णम् अग्निको दीप्त करता ३०२८ द्राक्षादि प्रयोगः विदग्धाजीर्ण । ४८६८ भोजनान्तेऽवलेहः पाचक, स्वादिष्ट। ३८९९ पथ्यादि , अजीर्ण, शूल, विसूचिका। घृतप्रकरणम् ३९०१ , अग्निको दीप्त करता ३०४४ दशमूलादिघृतम् अग्निमांद्य, प्रहणी, विष्टम्भ, आम | For Private And Personal Use Only
SR No.020116
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages773
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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