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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आप इस पथ-प्रदर्शिनी की सहायतासे कमसे कम निम्न लिखित लाभ अवश्य उठा सकते हैं। (१) इसकी सहायतासे आप मालूम कर सकते हैं कि शास्त्रोंमें जो एक एक रोगके बहुतसे प्रयोग लिखे हैं उनमेंसे हरेकमें क्या विशेषता है । (२) यह आपको बतलाएगी कि किस रोगकी किस अवस्था और किन लक्षणोंमें कौन प्रयोग अधिक उपयोगी है। (३) यदि समय पर आपको किसी रोगके किसी प्रयोगका नाम विस्मृत हो जाय तो वह इसके पृष्ठों पर दृष्टि डालतेही तत्काल याद आ जायगा क्यों कि इसमें एक एक रोगके समस्त प्रयोगों के नाम एकही स्थान पर संग्रहीत हैं। (४) इसमें काथ चूर्ण, अवलेह, रसादि के प्रकरण पृथक् पृथक् होनेके कारण आप हरेक रोगीकी परिस्थितिके अनुसार इसकी सहायतासे आसानीसे औषध व्यवस्था कर सकते हैं । (५) किसी रोगीके लिये औषध व्यवस्था करनेके लिये अन्य किसी पुस्तक के एक पूरे अध्यायको पढ़नेसे जो लाभ होना सम्भव है वह इसके एक दो पृष्ठापर केवल १ दृष्टि डाल लेने से ही हो सकता है। For Private And Personal Use Only
SR No.020116
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages773
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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