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- भैषज्य रत्नाकरः
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सांठका चूर्ण १।- १। तोला लेकर सबको भंगरेके रसमें १ दिन घोट कर १–१ माशेकी गोलियां बना लें |
भारत
इन्हें शहदके साथ सेवन करनेसे अग्नि दीप्त | होती है ।
अनुपान -- औषध खानेके पश्चान् अनारदाना, सांठ और गुड़ का चूर्ण समान भाग मिश्रित १। तोला खाना चाहिये ।
(४९४३) भस्मामृतरस: (२)
( रसे. चि. म. । अ. ९ ) धान्याभ्रं सूतकं तुल्यं मर्दयेन्मारक द्रवैः । दिनैकं तिलकल्केन पटं लिप्त्वाथ वर्तिकाम् || कृत्वैव तस्य तैलेन विलिप्य च पुनः पुनः । प्रज्वाल्य तामधः पात्रे सतैलं पारदं पचेत् ॥ स दिनं भूधरे पको भस्मीभवति नान्यथा । योजितो रसयोगेशस्तत्तद्रोगहरो भवेत् ॥ मनं खल्वेऽस्य विशेषादनिकारकः । अत्र प्रकरणे वक्ष्ये शुद्ध मृतस्य मारिकाः ॥ औषधीर्याः समस्ता वा व्यस्ताऽव्यस्ता दशोत्तराः। योजिता घ्नन्ति देवेशि सूतं गन्धं विनापि ताः ॥ मेघनादो वज्रवल्ली देवदाली च चित्रकम्। बला शुण्ठी जयन्ती च कर्कोटी तुम्बिका तथा ॥ कटुतुम्बीकन्द रम्भाकन्दवारणशुण्डिकाः । कोषातक्यसृताकन्दं कन्यका चक्रमर्द्दकम् ॥ सूर्यावर्त्तः काकमाची गुञ्जा निर्गुण्डिका तथा । लाङ्गली सहदेवी च गोक्षुरः काकतुम्बिका || जाती लज्जालुपके हंसपादभृङ्गराजकम् । ब्रह्मवीजं च भूधात्री नागवल्ली वरी तथा ।
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[ भकारादि
स्नुधर्कदुग्धं तुलसी धत्तूरो गिरिकर्णिका । गोपाली पटुमेताभिर्वभूतागतं पचेत् ॥ ग्रावा दग्धास्पुषा दग्धा दग्धा वल्मीकमृत्तिकाः। लोहकिट्टं च घस्रार्द्धमाजक्षीरेण मर्दयेत् ॥ नृकेशशणसंयुक्ता वज्रभूषा च तत्कृतिः ॥
धान्याक और शुद्ध पारा बराबर बराबर लेकर दोनोंको १ दिन मारक ओषधियोंके रसमें खरल 1. करें फिर उसमें समान - भाग तिलकी पिट्टी मिलाकर १ दिन घोटें और उसका स्वच्छ वस्त्रपर लेप करके उसकी बत्ती बनावें । इसको तिलके तेलमें अच्छी तरह तर करके उसके एक सिरेमें आग लगा दें और दूसरे सिरेको चिमटे आदिसे पकड़ कर बत्तीको उलटा लटका दें तथा उसके नीचे चीनी या कांचका पात्र रख दें। इस पात्रमें जो पारदयुक्त तैल इकट्ठा हो जाय उसे मूषा में बन्द करके १ दिन भूधर यन्त्रमें पकावें । इस क्रियासे ita भस्म बन जायगी ।
रोगोचित अनुपानके साथ सेवन करानेसे यह समस्त रोगों को नष्ट करती है ।
यदि इसे तप्त खल्वमें मर्दन कर लिया जाय तो इसकी जठराग्निवर्द्धक शक्ति अत्यधिक बढ़ जाती है ।
यहां प्रसंगवश पारेकी मारक ओषधियों के नाम भी लिखते हैं । इन ओषधियोंके योगसे गन्धकके बिना भी पारेकी भस्म बन जाती है ।
कांटे वाली चौलाई, हड़जोड़ी, विंडाल, चीता, खरैटी, सोंठ, जयन्ती (जैत), ककोड़ा, कड़वी
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