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रसपकरणम् ]
तृतीयो भागः।
[ ४७७ ]
धतूरेके काथमें पारदको सात बार घोटनेसे वह उतनी ही बड़ी पानीसे भरी हुइ हाण्डीपर उलटी सप्तकञ्चुकी-रहित हो जाता है।
रखकर दोनोंके जोड़को गुड़ चूने आदिसे अच्छी नोट---मूछन कर्मके जो २ प्रयोग लिखे तरह बन्द कर दें और उसे सुखाकर भूमिमें गये हैं उनमें से किसी एकसे ही मूर्छन-संस्कार | गाढ़ दें। कर लेना पर्याप्त है।
पानी वाली हाण्डी भूमिमें और ऊपर वाली
हाण्डी भूमिके बाहर रहनी चाहिये । अब ऊपर (४) उत्थापनम्
वाली हाण्डीके चारों ओर तथा उसके ऊपर अरने ( र. र. स. । अ. ११)
उपले लगाकर उनमें आग लगा देनी चाहिये । अस्माद्विरेकात्संशुद्धो रसः पात्यस्ततः परम् । ।
| इस क्रियासे पारद उड़कर नीचेवाली हाण्डी उद्धृतः काञ्जिककाथात्पूतिदोषनिवृत्तये ॥
में पानीमें चला जायगा । इसीका नाम अधःपातन __ मूर्छनके पश्चात् पारदको ऊर्ध्वपातनयन्त्र | संरकार है। द्वारा उड़ाकर गर्भ कांजीसे धो डालना चाहिये ।
(२) पारदोर्ध्वपातनम् (अ) इसीका नाम उत्थापन-संस्कार है।
(र. सा. सं. । पूर्वखण्ड; र. रा. सु. । पूर्वखण्ड) (५) पातनम्
भागास्त्रयो रसस्याकै भागमेकं विमर्दयेत् । (१) पारदाधः पातनम्
जम्बीरद्रवयोगेन यावदायाति पिण्डताम् । (र. सा. सं. । पूर्वखण्ड; र. चि. म. । अ. ३) तत्पिण्डं तलभाण्डस्थमूर्द्धभाण्डे जलं क्षिपेत् । नवनीताद्वयं मूतं घृष्ट्वा जम्बाम्भसा दिनम् । कृत्वालवालं केनापि ततः सूतं समुद्धरेत् ॥ वानरीशिग्रुशिखिभिः सैन्धवासुरि संयुतैः ॥ | उर्द्धपातनमित्युक्तं भिषग्भिः सूतशोधने॥ नष्टपिष्टं रसं कृत्वा लेपयेर्द्धभाण्डके।
१ भाग ताम्रके बारीक पत्र और ३ भाग ऊर्वभाण्डोदरं लिप्त्वाऽधोभाण्डं जलसंयुतम्॥ पारदको एकत्र मिलाकर नीबूका रस डालकर सन्धिलेपं द्वयोः कृत्वा तयन्त्रं भुवि पूरयेत् । इतना घोटें कि दोनोंका एक पिण्ड बन जाय । उपरिष्टात्पुटे दत्ते जले पतति पारदः॥ इस गोलेको कपरमिट्टी की हुई हाण्डीमें रख कर अधःपातनमित्युक्तं सिद्धाधे मूतकर्मणि ॥
उसके ऊपर दूसरी हांडी उल्टी ढककर दोनों के समान भाग गन्धक और पारदकी कजली जोडको गुड़ चूने आदिसे अच्छी तरह बन्द कर में कौंचके बीज, सहंजनेके बीज, चीता, सेंधानमक | दें। तदनन्तर ऊपर वाली हाण्डीकी तली पर मुल
और राईका चूर्ण मिलाकर उसे १ दिन जामनके तानी मिट्टी आदिसे एक आलबाल (घेरा ) बनारसमें घोटकर पिट्टी बना लें और फिर उसे एक कर उसमें पानी भर दें। अब इस यन्त्रको चूल्हे हाण्डीके भीतर लेप कर दें । इस हाण्डीको दूसरी । पर चढ़ाकर उसके नीचे मृदु मध्यम और तीब्र अग्नि
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