________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
[३४०]
भारत-भैषज्य-रत्नाकरः।
[पकारादि
शृतैः कल्कैश्च भूनिम्बत्रिफलाव्योपचित्रकैः।। (४०५१) पञ्चगव्यं घृतम् (४) (वृहत् ) त्रिवृत्पाठानिशायुग्मसारिवाद्वयपौष्करैः॥ (र. र. । अपस्मार.; च. सं. । चि. अ. १५ कटुकायासदन्त्युग्राश्नीलिनीक्रिमिशत्रुभिः। अपस्मा.; ग. नि. । घृता. १.) सपिरेभिश्च गोक्षीरदधिमूत्रशकद्रसैः ॥ द्वे पश्चमल्यौ त्रिफलां रजन्यौ कुटजत्वचम् । साधितं पञ्चगव्याख्यं सर्वापस्मारभूतनुत् ।।
सप्तपर्णमपामार्गनीलिनीकटुरोहिणीम् ।। चतुश्चतुः क्षयश्वासानुन्मादांश्च नियच्छति ॥ सम्पाकं फल्गुमलञ्च पौष्करं सदुरालभम् ।
काथ-दशमूल, कुड़ेकी छाल, मूळ, द्विपलांशं जलद्रोणे पक्त्वा पादावशेषितम् ॥ भरंगी, त्रिफला, अमलतास, गजपीपल, सताना, | भाजीपागत्रिकटुकत्रिहतानि चूर्णानि च । चिरचिटा और कठूमर ( कठगूलर ) की छाल | श्रेयसी २मागधी मा दन्ती भूनिम्बचित्रकौ ॥ समान भाग मिश्रित १ सेर लेकर अधकुटा करके द्वे सारिवे रोहिषश्च भूतिकं मदयन्तिकाम् । ८ सेर पानीमें पका और २ सेर पानी शेष रहने | क्षिपेत्पिष्ट्वाक्षमानानि तैः प्रस्थं सर्पिषः पचेत्।। पर छानलें।
| गोशकृद्रसदध्यम्लक्षीरमृत्रैश्च तत्समैः। कल्क-चिरायता, त्रिफला (हर, बहेड़ा, पञ्चगव्यमिति ख्यातं महत्तदमृतोपमम् ॥ आमला. ) त्रिकटा ( सांठ, मिर्च, पीपल ), चीता, | अपस्मारे ज्वरे कासे श्वयथावुदरेषु च । निसोत, पाठा, हल्दी, दारुहल्दी, दो प्रकारकी | गुल्माशः पाण्डुरोगेषु कामलायां हलीमके ॥ सारिवा, पोखरमूल, कुटकी, धमासा, दन्तीमूल, अलक्ष्मीग्रहरक्षोघ्नं चातुर्थिकनिवारणम् ॥ बच, नीलका पञ्चाङ्ग और बायबिडंग । सब समान- (श्रेयसीगजपिप्पली, रोहिर्ष गन्धतृणभेदः, भागमिश्रित २० तोले लेकर पानीके साथ भूतिकं गन्धवर्ण रोहिषाभावे भागद्वयं ग्राह्यम् ।) पीस लें।
काय-दशमूलकी हरेक चीज़, हर्र, बहेड़ा, विधि--काथ, कल्क, २ सेर गायका घी, | आमला, हल्दी, दारुहल्दी, कुड़ेकी छाल, सतौना, २ सेर गायका दही, २ सेर गायका दूध, और |
| चिरायता, नीलका पश्चाङ्ग, कुटकी, अमलतास २ सेर गायके गोबरका रस एकत्र मिलाकर पकावें। और कठूमर ( कठगूलर ) की जड़की छाल, जब घृतमात्र शेष रह जाय तो छान लें। पोखर मूल और धमासा । प्रत्येक १० तोले लेकर
अधकुटा करके सबको ३२ सेर पानीमें पकावें । इसके सेवनसे अपस्मार, भूतोन्माद, क्षय, |
जब ८ सेर पानी शेष रह जाय तो छान लें। श्वास और उन्माद रोग नष्ट होता है।
___ कल्क-भरंगी, पाठा, सोंठ, मिर्च, पीपल, ( मात्रा-१ तोला।)
निसोत, गजपीपल, पीपल, मूर्वा, दन्तीमूल, चिरायता, २-पूतीकेति पालन्तरम् ।
१-" निबुलानि च " इति पाठान्तरम् । -कटकामदयन्त्युप्रेति पाठभेदः
२-" मालकी" इति पाठान्तरम् ।
For Private And Personal Use Only