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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुटिकामकरणम् ] तृतीयो भागः। [३१५] तथा दालचीनी, इलायची और तेजपात १।१।। ही आराम हो कर शरीर बालसूर्यके समान तोला लेकर चूर्ण बनावें और उसे ५० तोले गुड़में दीप्तिमान हो जाता है। मिलाकर गोलियां बना लें। पलाशादिवटी । इनके सेवनसे अर्श नष्ट होती है। पानीयवाटिका पानीयवटिका ( मात्रा--१। तोला।) (सिद्ध फला) (३९९७) पथ्यावटक: पानीयभक्तवटिका ! ( ग. नि.। परिशिष्ट गुटिका.; वं. से. । कुष्ठ.) पानीयभक्तवटी । रसप्रकरणमें देखिये। पारदगुटिका पथ्यां सेन्द्रयवां सकिंशुक पारदादिगुटिका फलां सार्की तथावर्तकीं। पारदादिगुटी व्याधि न तु योजितां हुत पारदादिवटी भुजासारुष्करां बाकुचीम् ॥ पालङ्कयादिगुटिका तद्वच्च क्रिमिशत्रुणाप्युपगतामेकैकद्धानिमान्। (वै. म. र. । पट. १६) गोमूत्रेण विमृद्य तुल्यतुबरान्कृष्ठी वटान् भक्षयेत्।। अञ्जनप्रकरणमें देखिये ।। निहन्ति इतनासिकाकरजकर्णपादाङ्गुलि-- क्षरद्रुधिरपूतिपूयपरिजग्धजन्तुव्रणान् । । । (३९९८) पारावतपुरोषयोगः (गुटिका) पभिन्नाचिरलक्षितस्वरमशेषकुष्ठं मह (र. चं. । विसर्पाद्यधि.; यो. र. । स्नायु. ) निहन्ति कुरुतेऽरुणार्कवपुष नरं योगतः॥ पारावतपुरीषस्य मधुना कल्कितस्य च । हर्र १ भाग, इन्द्रजौ २ भाग, ढाक (पलाश) गिलिता गुटिका हन्ति स्नायुकामयमुद्धतम् ।। की छाल ३ भाग, त्रिफला ४ भाग, आक ५ कबूतरकी बीटको शहदमें घोटकर ( आधे भाग, मरोडफली ६ भाग, अमलतास ७ भाग, आधे माशे की) गोलियां बनालें । चीता ८ भाग, शुद्ध भिलावा ९ भाग, बाबची इनके सेवनसे स्नायुक (नहरया) रोग नष्ट १० भाग और बायबिडंग ११ भाग लेकर सब होता है । का महीन चूर्ण करके उसे गोमूत्रमें घोटकर | (३९९९) पिण्याकादिगुटिका गोलियां बनालें। (वै. म. र. । पटल ९) जिस कुष्ठीकी नाक, उंगली, कान और पिण्याकसैन्धवपुनर्नवचूर्णभास्वपैरोकी उंगली आदि गिर गई हो तथा कोढ़ से साराजमूत्रपयसां समभागभाजाम् । दुर्गन्धित राध और रक्त निकलता हो और जिसके । हिङ्गषणाज्यसहिता गुटिकाग्नितप्ता पावोंमें कृमि पड़ गये हों उसे इसके सेवनसे शीघ्र गुल्मोदराग्निसदनारुचिशूलहन्त्री ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020116
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages773
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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