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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org आयुर्वेदीय साहित्य में फार्माकोपिया के अभाव को ध्यान में रखकर इस ग्रन्थ को परिश्रमपूर्वक तैयार किया गया था और आज भी यह ग्रन्थ उतना ही उपयोगी है जितना तब था। इसमें क्वाथ, चूर्ण, अवलेह, गुटिका, घृत, तेल, रस इत्यादि प्रकरणों में विभक्त दस सहस्र से अधिक प्राचीन एवं श्रार्वाचीन प्रयोगों का संग्रह सैकड़ों ग्रन्थों का मन्थन करके किया गया है । इस ग्रन्थ में कोश- शैली का अनुसरण किया गया है, जिससे इष्ट प्रयोग बिना किसी कठिनाई के ढूंढा जा सकता है। एक और लाभ इस शैली का यह है कि भिन्न-भिन्न ग्रन्थों और पृथक्-पृथक् अधिकारों में एक नाम के जितने प्रयोग पाए जाते हैं वें सब इसमें एक ही स्थान में आ गए हैं। उद्धरण जिन ग्रन्थों से लिए गए हैं उनके नाम एवं अधिकार भी दे दिए गए हैं । रोगानुसारिणी सूची “चिकित्सापथ-प्रदर्शिनी” नाम से अन्त में दे दी गई है, जिससे ग्रन्थ की व्यावहारिक उपयोगिता बहुत बढ़ गई है । (सम्पूर्ण ५ भागों में) मूल्य : रु० ५०० For Private And Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
SR No.020116
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages773
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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