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चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण संख्या प्रयोगनाम
मुख्य गुण घृतप्रकरणम्
२०७२ जातीफलादि लेपः यौवनपिडिका(मुंहासे १३६३ गडच्यादिघृतम वाणीकी विकलता. २०७३ जोरकादि . व्यङ्ग, लाञ्च्छन
हकलाना।
२०७५ जीवन्त्यादि ,, होठ फटना
२०७६ , , गालफटना तैलप्रकरणम्
| २५१२ तैलादि , मसूढोंके घाव १३७६ गण्डीरादि तैलम् समस्त मुखरोग २०५२ जात्यादि , दांतका नासूर
रसप्रकरणम् . २४६८ ताम्रादि , मुंहकी झांई, व्यङ्ग, १८८० चतुर्मुखो रसः जिह्वा, दन्त और कलौंस, बली (झुर्रियां)
मुखरोग आदि नाशक सौन्दर्य
मिश्रप्रकरणम् वद्धक ।
१६१७ गुञ्जादिमूलयोगः चबानेसे दन्तपीड़ा - लेपप्रकरणम्
. नष्ट होती है। १४५० गोरोचनादिलेपः मुखदूषिका (मुंहासे) २१९० जातीपत्रयोगः मुखपाकादि, दांत१८३१ चन्दनादि , व्यङ्गनाशक,सौन्दर्य
हिलना वर्द्धक । | २८०४ तिलादिकवलः मसूढोंकी सूजन २०६९ जातीपत्रादि ,, व्यङ्ग, लाञ्च्छन
गण्डूप मुंह जल जाय तो ( कलौंस)
उसकी दाह ३५ मूत्रकृच्छ्रमूत्राघाताधिकारः कषायप्रकरणम्
१२१६ गोक्षुरक्काथः मूत्रकृच्छ्, मूत्राघात, ११०९ गङ्गावतीमूलयोगः मूत्रावरोध ।
मूत्रशुक्र ११६० गुडदुग्धयोगः मूत्रकृच्छू, शर्करा, १२१९ गोधापदीमूलयोगः भयङ्कर मूत्राघात
उष्णवात | १२२० गोधावन्यादि मूत्राघातको तुरन्त नष्ट १२१४ गोक्षुरक्वाथः मूत्रकृच्छू, उष्णवात
करता है। ( सोज़ाक ) २२३५ तृणपञ्चमूलादि पित्तज मूत्रकृच्छ्र, १२१५. " मल रोकनेसे उत्पन्न
मूत्रमार्गसे होनेवाला मूत्रकृच्छू
रक्तस्राव
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