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चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
[५३३]
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संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण २६५६ तालकेश्वर रसः ___ श्वेतकुष्ठ (३ दिन २७१५ त्रिगन्धरसः औदुम्बर कुष्ट
बाद छाला पड़ता है) २७४० त्रिफलादि गुटिका द्रु, किलासकुष्ठ २६५८ तालचन्द्रोदयः कुष्टरोगमें अकसीर
२७४३ , मोदकः समस्त त्रिदोषज २६६६ तालमन्त्रेश्वर मण्डलकुष्ठ २६८१ तालेश्वरो रसः वातमण्डल. वातरक्त । २७७२ त्रैलोक्यविजय सर्वकुष्ट २६८२ , ,
सर्वकुष्ट
२७७३ , २६८३ , , २६८४ , , वायु, वातरक्त, कुष्ठ,
मिश्रप्रकरणम् भगन्दर २६८५ , ,
वमन और स्राव तथा | १९४५ चोपचीनीवाष्पः कुष्ठ, वातरक्त, व्रण कृमियुक्त गलत्कुष्ठ
१५ कृमिरोगाधिकारः कषायप्रकरणम्
| २४५६ त्रिफलाद्यं घृतम् कृमि २२५४ त्रिकट्वादिकाथः पेटकेकृमि
लेपप्रकरणम् २२८० त्रिफलादिकाथः ॥ "
२४९५ तालमूलादिलेपः कृमिनाशक चूर्णप्रकरणम्
रसपकरणम् १९५९ छोहाराचं चूर्णम् कृमिरोग
२१०२ जन्तुम्नीगुटिका २-३ बारके प्रयोगसे
उदरके कृमि निकल घृतपकरणम्
जाते हैं। २४५२ त्रिफलाघृतम् कृमि
१६ गलगण्डगण्डमालाधिकारः कषायप्रकरणम्
| १९७१ जलकुम्भी क्षारयोगः गलगण्ड ११११ गण्डमालाहर. पुरानी गण्डमाला
| २२२४ तिक्तालाबुयोगः , १११२ ,
गण्डमाला
२२९९ त्रिफलायोगः गण्डमाला गलगण्ड १११३ , गण्डमाला, अपची,
गुग्गुलुप्रकरणम् कामला
| २४२४ त्रिफलादिगुग्गुलुः गण्डमाला, ऊरुस्तम्भ ११५८ गिरीकर्णिका मूल गण्डमाला
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