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[५३२]
चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
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संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण | संख्या प्रयोगनाम १५२७ गन्धकयोगः कण्डू, पामा, विचर्चिका ! २६४० तालकेश्वर रसः १५३० गन्धकयोगः कण्डू, पामा, पुरानी
विचर्चिका १५३१ , ,
पामा(३दिनकाप्रयोग) २६४१ ,, , १५३३ गन्धकरसायनम् १८ प्रकारके कुष्ठ १५६० गलत्कुष्ठनाशकरसः गलत्कुष्ट १५६१ गलत्कुष्टारिरसः गलत्कुष्ठ, वातरक्त,
किलास
२६४३ , १६४१ घनसङ्कोचनामरसः पित्तजकुष्ट १८७४ चण्डभैरवो रसः सर्वकुष्ठ
२६४४ १८७५ चण्डरुद्ररसः विचर्चिका २६४५ , , १८८७ चन्द्रकान्तरसः कुष्ठ १८९० चन्द्रप्रभावटी श्वेतकुष्ठ २६४६ , , १८९१ , , पामा १८९५ चन्द्रशेखरो रसः कुष्ठ,शतारुक,गलत्कुष्ठ १८९९ चन्द्राननो रसः . कुष्ठ
२६४७ १९११ चर्मकुठाररसः चर्मकुष्ट २६४८ १९१२ चर्मभेदीरसः
२६४९ १९१३ चर्मान्तको रसः
२६५० २१०२ जन्तुघ्नीगुटिका २-३ बारके प्रयो- २६५१
गसे कुष्टके कृमि
निकल जाते हैं। २१२९ ज्योतिष्पुञ्जोरसः चर्मकुष्ट २५६० ताण्डवरसः गलत्कुष्ट
२६५२ " " २५७७ ताम्रभस्मयोगः दुस्साध्य औदुम्बर कुष्ठ २६५३ . ., २५९५ ताम्रयोगः कोठ,, उदर्द, शीतपित्त २६ ११ तारकेश्वरीगुटिका सर्व प्रकारके कुष्ठ
| २६५४ , " २६३९ तालकादिवटी शीतपित्त
। २६५५ , ,
मुख्य गुण १८ प्रकारके कुष्ट, वातरक्त, प्रमेह पिडिका गलत्कुष्ट, सुषुप्ति, मण्डल, कृष्णकुष्ट, विचर्चिकादि सर्व कुष्ट । गलत्कुष्ठ, वातरक्त, शीतपित्त, मण्डल,दाद वातरक्त, रोमविध्वंस उपद्रवसहित वातरक्त उपदंश, विसर्प, कण्डू समस्त देहमें व्याप्त कुष्ठ जिसमें शिराएं दीखती हों। वातरक्त, श्वेतकुष्ठ समस्त कुष्ट
खुजली, पीप, पिडिका
और कृमियुक्त कुष्ठ; नासिका आदि गल जाना। सर्व प्रकारके कुष्ठ सर्वकुष्ठ ( अत्यन्त अग्नि दीपक) गलत्कुष्ठ सर्वकुष्ट
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