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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir [५३०] चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी करणम् संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण १९०१ चन्द्रामृतवटी पांच प्रकारकी खासी, २५९० ताम्रभैरवो रसः खांसी, श्वास, पीनस रक्तथूकना, चर, । २५९७ ताम्ररसायनम् खांसी, श्वास, कफ श्वास, तृष्णा, भ्रम २६०९ तानेश्वरो रसः शतज खांसी १९०२ चन्द्रामृतलोहम् गरदोपज खांसी, ज्वर २६७८ तालेश्वररसः कास, स्वरभङ्ग तृष्णा, भ्रम और दाह २६८६ तिक्तत्रयरम: पित्तज खांसी, ज्वर, युक्त खांसी, तथा अन्य गलरोग, तृष्णा. दाह हर प्रकारको ग्वांसी २७२५ त्रिनेत्रग्मः पित्तज काम २५७० तानपर्पटी कास, समस्तरोग २७२७ ., ., १४ कुष्ट तथा विग्दोषाधिकारः कपायप्रकरणम् मण्डल, खुजली ११९६ गुडूच्यादिकाथः त्वग्दोप, बग, शोथ १७४२ चित्रकटिका १९७५ जलशैवालयोगः खुजली २०११ जयन्तीवटी कुष्ट २२८७ त्रिफलादिकाथः पित्तकफकुष्ट २०१२ जयागुटी , क्षय , २२९६ , २३९९ त्रिजातगुटिका दोषपाचक कण्डूनाशक (रेचक) घृतप्रकरणम् चूर्णप्रकरणम् १३५३ गुग्गुलुतिक्तकं वृत त्वग्दोप, कुष्ट, गण्ड. १२३६ गन्धकचूर्णम् पामा, खुजली माला, शून्यता १२४० गन्धकप्रयोगः कुष्ट १३५४ गुग्गुलुपञ्चतिक्त सड़े हुवे कुष्ट, विसर्प, १९८८ जम्बूदलाद्वर्तनम् पसीना, दुर्गन्ध (उबटन: १२५५ : " कुष्ट, वातरक्त, गण्ड २३१६ तिलबाकुचीयो. कुष्ट (१ वर्षका प्रयोग गाला, भगन्दर, नासूर २४३२ तितकं घृतम २३२५ तिलादिप्रयोगः कुष्ट, ( बल और पित्तकुष्ट, दाह, वि. सर्प, खुजली, विमेधावर्द्धक) स्फोटक, चित्र २३४८ त्रिफलादिचूर्णम दाह, खुजली, पामा, २४५५ त्रिफलायं घृतम् । जिस में नम्ब, केश रक्तष्टि विम्फोटक, और स्नायुगल गए मण्डलादि हां वह कुष्ट । * वातरक्त पृथकः लिखा है। For Private And Personal
SR No.020115
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages597
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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