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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra संख्या प्रयोगनाम २३७८ त्रुटयादि चूर्णम् २३८० त्र्यूषणादि,, गुटिकाप्रकरणम् १७३४ चतुः समागुटिका आमातिसार, अफारा, विसूचिका २०१५ जातीफलादिवटी प्रबल अतिसार २४६२ त्र्यूषणादिघृतम् अवलेहप्रकरणम् २०२७ जम्बूत्वचाद्योऽवलेहः आमयुक्त, दुर्गन्धित, जलके समान तथा पीपवाले भयङ्कर अतिसारमें अत्युत्तम घृतप्रकरणम् २०५९ जीवनीयो यमकः २४७९ त्रिफलातैलम् १४७३ मुख्य गुण आम निकाल देता है। प्रबल आमातिसार तैलप्रकरणम् १४७२ ग्रहोपशमनार्थ मञ्जनम् www.kobatirth.org चिकित्सा - पथ-प्रदर्शिनी ," अञ्जनप्रकरणम् प्रवाहिका (पेचिश) अपस्मार अपस्मार (नस्य ) "" "" संख्या प्रयोगनाम 19 "" १५०० १९३९ चिन्तामणिरस: ३ अपस्माराधिकारः रसमकरणम् १४९६ गगनायसरसायनम् पित्तातिसार १४९८ गङ्गाधरचूर्णम् १४९९ गङ्गाधर रसः २११५ जातीफलरसः २७०४ तृप्तिसागररसः 35 २१८४ जलतैलप्रयोगः २२०५ दिण्डुकादि पुटपाकः Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir For Private And Personal [ ५२३ ] मुख्य गुण दुस्साध्य अतिसार अतिसार, प्रवाहिका, ग्रहणी मिश्रप्रकरणम् सर्वातिसार, ग्रहणी सन्निपातज अतिसार, संग्रहणी आमातिसार, रक्तग्रहणी सन्निपातातिसार मिश्रप्रकरणम् अपस्मार, ग्रह, राक्षस १६१६ गिरिकणमूलयोगः गले में बांधने से अपची होती है । रक्त और आमयुक्त पुराने अतिसारको शीघ्र नष्ट करता है । समस्त प्रकारके अतिसार रसमकरणम् १८७२ चण्डभैरवः अपस्मार २७१३ त्रिकत्र्याचं लौहम् अपस्मार, उन्माद, वायु
SR No.020115
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages597
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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