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लेपप्रकरणम् ]
[ ३८५ ]
(२५००) तिलपुष्पादिलेप: ( वृं. मा. (क्षुद्ररोग.) आदाय तिलपुष्पाणि सर्पिरश्वखुरं तथा । मधुना सह संयुक्तं शिरो लेपं तु कारयेत् ॥ तैलेनानेन जायन्ते केशाः हस्ततलेष्वपि ॥
नोट- यदि लेप गाढ़ा हो तो दूध मिलाकर लगाने योग्य पतला कर लेना चाहिये । यदि अधिक पतला हो तो मुलैठी और चन्दनका चूर्ण मिलाकर गाढ़ा कर लेना चाहिये या दूध और तैल पहिले से ही थोड़ा मिलाना चाहिये । (२५०३) तिलादिलेपः
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तिलपुष्प, घोड़ेके खुरका कोयला, घी और शहद समान भाग लेकर घोटकर शिरपर लेप करने से गंज नष्ट होता है । इस प्रयोगसे हथेली में भी बाल उग आते हैं ।
( वृ. नि. र.; यो. र. | भगन्दर . ) तिलतृभागदन्तीमञ्जिष्ठायैः ससैन्धवैः । । सक्षौद्रैश्च प्रलेपोयं भगन्दरकुलान्तकृत् ॥
तिल, निसोत, नागदन्ती, मञ्जिष्ठादि गण और सेंधा नमक के समान भाग चूर्णको शहद में मिलाकर लेप करनेसे भगन्दर नष्ट होता है । (२१०४) तिलादिलेप: ( वृं. मा .; वं. से. व्रणरो.) सदाहा वेदनावन्तो ये व्रणाः मारुतोत्तराः । तेषां तिलानुमांश्चैव भृष्टान् पयसि निर्वृतान् ॥ तेनैव पयसा पिष्ट्वा दद्यादालेपनं मिषक् ॥
निशे वचा रोधमगारधूमः । भगन्दरे नाड्युपदेशयोश्च
द्वितीयो भागः ।
(२५०१) तिलादिकल्क:
( यो. र.; . नि. र.; ग. नि. | भगन्द०: वृं. मा. । उपदेश )
तिलाभयाकुष्ठमरिष्टपत्र
दुष्टवणे शोधनरोपणोऽयम् ॥ तिल, हर्र, कूठ, नीमके पत्ते, हल्दी, दारु हल्दो, बच, लोध और घरका धुंवां | सबका समान भाग महीन चूर्ण लेकर ( घीमें मिलाकर ) लेप करनेसे भगन्दर, नासूर और उपदंश (आतशक) के दुष्ट व्रण शुद्ध होकर भर जाते हैं । (२५०२) तिलादिलेप: ( वृं. मा. । व्रणशोथा.) तिलाः पयःसिता क्षौद्रं तैलं मधुकचन्दनम् । लेपेन शोथरुग्दाहरक्तं निर्वापयेद् व्रणान् ॥
महीन पिसे हुवे तिल, दूध, मिश्री, शहद तिलका तेल तथा मुलैठी और लालचन्दनका चूर्ण | समान भाग लेकर सबको एकत्र मिलाकर लेप करनेसे व्रण (घाव ) की सूजन, पीड़ा, दाह और रक्तस्राव का नाश होता है ।
१ पयः पिष्टैस्तिलैराज्यमधुकैश्चेति पाठान्तरम् ॥ भा० ४९
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दाह और वेदनायुक्त वातज व्रणों (घावों) में तिल और अलसीको भूनकर ( तुरन्त गर्म गर्म ही) दूधमें बुझाकर उसी दूधके साथ पीसकर लेप करना चाहिये ।
(२५०५) तिलादिलेपः
( वं. से.; ग. नि. । भगन्दर . ) पयः पिष्टैस्तिलैरण्डमधुकैश्च सुशीतलैः । भगन्दरे प्रलेपोऽयं सरक्ते वेदनावति ।।
रक्त और वेदनायुक्त भगन्दर पर अरण्डकी जड़, तिल और मुलैठीको कच्चे दूध में पीसकर ठण्डा ठण्डा लेप करना चाहिये ।
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