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भारत-भैषज्य-रत्नाकरः
[तकारादि
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एक ताम्रपात्रमें मालकंगनीका तैल भरकर गोदुग्ध या गोमूत्रमें बुझाइये ।) इसी प्रकार बार उसके मुखपर ढक्कन रखकर उसे टांकेसे अच्छी बार करनेसे ताम्रका चूर्ण हो जायगा । अब यह तरह बन्द करा दीजिए फिर भूमिमें १ अरनि । ताम्र चूर्ण १ भाग, तेल ४ भाग और गोदुग्ध प्रमाण गहरा गढा खोदकर उसमें इस पात्रको ३२ भाग लेकर सबको एकत्र मिलाकर मन्दाग्नि दबा दीजिए। छः मास इसके ऊपर मृदु पर पकाइये। जब दूध जल जाय तो तैलको तुषाग्नि जलाएं और स्वांग शीतल होनेपर छानकर उसमें प्रतिपल (५ तोले) तैलमें १ कर्ष निकाल लें।
(१। तोला) मोम और आधा कर्ष काश्मीरी केसर इसमें से प्रथम दिन १ माषा तैल पिएं और मिलाइये। फिर रोज थोड़ा थोड़ा बढ़ाते जाएं । जब चार ___ इस तैलकी मालिश करनेसे मुखके व्यङ्ग, माषे मात्रा पर पहुंच जाएं तो मात्रा न बढ़ाएं | कलङ्क ( झांई, कलौस) और वलि इत्यादि नष्ट और रोज ४ माषे ही पीते रहें।
होकर मुख चन्द्रमाके समान अत्यन्त सुन्दर हो ___ इसे तीन वर्ष पर्यन्त सेवन करनेसे मनुष्य |
जाता है। महाकवि (अत्यन्त तीब्र बुद्धिः) हो जाता है। (२४६८) ताम्रादितैलम् (रा. मा. । मुखरो.)
। (२४६९) तालीसायं तैलम् अम्भःक्षालितटङ्कणेन ममृणोत्पिष्टेन यल्लेपितम्। ( सु. सं. । चि. क्षतचि.) तानं तत्परिताप्य सूक्ष्मं कणिकाभावं तालीसं पद्मकं मांसी हरेण्वगुरुचन्दनम्।
क्रमात्मापयेत् ॥ हरिद्रे पद्मवीजानि सोशीरं मधुकश्च तैः॥ तैलं तत्र चतुर्गणं विनिहितं तैलात् सुरभ्याः पयो। पकं सद्यो व्रणेपूक्तं तैलं रोपणमुत्तमम्।। विन्यस्याष्टगुणं पचेत्सुनिपुणो नात्यन्ततीवेऽनले॥
___तालीसपत्र, पद्माक, जटामांसी, रेणुका (संभाकर्ष तैलपले क्षिपेदथ मधूच्छिष्टस्यकाश्मीरजस्याष्टांशं विनिधाय तेन शिशिरे वक्त्रं
लुके बीज), अगर, चन्दन, हल्दी, दारुहल्दी, समालेपयेत् ॥
कमलगट्टा, खस और मुलैठी । समान भाग लेकर
इनके कल्क और इन्हींके क्वाथसे तैल पकाकर एवं व्यङ्गकलङ्कविन्दुवलिभिनिर्मुक्तमत्युज्ज्वलम् ।
रखिए। तत्स्यात् पार्वणचन्द्रविम्बविजयी
प्रस्फारचारद्युतिः ॥ इसे ब्रण (घाव) में लगानेसे घाव भर आता सुहागेको पानीके साथ अत्यन्त महीन पीस- है। (काथके लिए प्रत्येक ओषधि ४ तो०; पानी कर ताम्रपत्रपर लेप कर दीजिए और फिर उसे ४ सेर ३२ तो., शेष १ सेर ८ तोले । तैल २२ अग्निमें तपाइये । (और खूब लाल होनेके पश्चात् | तोले । कल्कके लिए प्रत्येक वस्तु आधा तोला ।)
१ अरनिकनउंगलीको फैलाकर बन्द की हुई मुठीका माप ।
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