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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir गुटिकाप्रकरणम् ] द्वितीयो भागः । [२५३ ] के मूत्रमें घोटकर चनेके बराबर गोलियां बना। इनमें से १-१ गोली खानेसे वीर्यस्तम्भन लीजिए। यह "जयावटी" योग वाही है । अर्थात् होता है । जिस प्रकारके अनुपानके साथ दी जाती है वैसा (२०१७) जातीफलादिवटी ही गुण करती है। (यो, त. । त, ८०; वृ. यो, त. । त. १४७) (अनुपानादि "जयन्तीवटी" में देखिए ।) जातीफलार्क करहाटलवङ्गशुण्ठी (२०१५) जातीफलादिवटी कोलकेसरकणा हरिचन्दनश्च । X ( वृ. नि. र.; वै. र. । आंत. ) एतत्समानमहिफेनमचन्द्रमभ्रं जातीफलं च खजूरमहिफेनं तथैव च । सर्वःसमं न सहते रति बिन्दुपातम् ॥ समभागानि सर्वाणि नागवल्लीरसेन च । सर्वैःसमांशा खलु शर्करा तु वल्लमात्रा वटी कार्या देया तक्रानुपानतः। देया भिषग्भिरखिलार्थविद्भिः। अतिसारं जयेद्घोरं वैश्वानर इवाहुतिम् ।। घृतेन सार्द्ध मधुना च साकं जायफल, खजूर (छुहारा), अफीम समान कृत्वा वटी टङ्कमितां च दद्यात् ।। भाग लेकर पानके रसमें घोटकर ३-३ रत्तीकी । जायफल, अर्क (आक ) की जड़, अकरकरा, गोलियां बना लीजिए। लौंग, सोंठ, कंकोल, केसर, पीपल, और मलियाइन्हें तक्रके साथ सेवन करनेसे भयङ्कर अति- गिरि चन्दन का चूर्ण १-१ भाग। अफीम ९ सार भी नष्ट हो जाता है। भाग, निश्चन्द्र अभ्रक १८ भाग और खांड ३६ (२०१६) जातीफलादिवटी भाग लेकर सबको एकत्र मिलाकर महीन करके (यो. त. । त. ८०; वृ. यो. त. । त, १४७) शहद के साथ १--१ टङ्क (४-४ माशे ) की जातीफलं टङ्कमितमहिफेनं च टङ्कम् । ___ गोलियां बना लीजिए। अजमोदा चैकटङ्का चन्द्रसं चैकटङ्ककम् ।। इन्हें शहद और धी के साथ सेवन करनेसे सितोपला विटङ्का स्थात्पश्चटङ्को गुडो मतः। | वीर्यस्तम्भन होता है। बुद्धया सम्मेल्य वटिकाः कार्याद्वादश तुल्यशः॥ जातीफलाद्या वटिका तत्रैकां भक्षयेद्धीमाञ्छनं स्तम्भयति ध्रुवम् ॥ (र. सा. सं., भै. र., र. र., । ग्रह ० ) जायफल १ टङ्क (४ माषे), अफीम १ टक. रसप्रकरणमें देखिए । अजमोद १ टङ्क, कपूर १ टङ्क, बंसलोचन ३ (२०१८) जात्यादिगुटिका (ग. नि.। मुखरो.) टक, और गुड़ ५ टङ्क लेकर सबका महीन चूर्ण जातीकर्पूरपूगानि कङ्कोलकफलानि च । करके गुड़में मिलाकर सबकी १२ गोलियां | इत्येषां गुटिका कार्या मुखसौभाग्यवर्धिनी ॥ बना लीजिए। । दन्तौष्ठमुखरोगेषु जिहाताल्वामयेषु च ॥ For Private And Personal
SR No.020115
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages597
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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