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रसायन]
परिशिष्ट (चि. प. प्र.)
तैल-प्रकरणम्
नस्य-प्रकरणम् ८८५६ अजयपाल तै० नपुंस्कता ८९१५ अङ्कोलबीजादि८८६२ अर्कतैलम् हस्तदोष और गुदव्यभि
तैलनस्यम् बलिपलित नाशक, वृद्धों चार जनित नपुंस्कता
को यौवन दाता ८८६५ अश्वगन्धा तै० कृश शरीरको पुष्ट करताहै
रस-प्रकरणम् ८८६६ अश्वगन्धादितै० शिश्न, स्तन और कर्ण
पाली वर्द्धक ८९३७ अभिनवकाम९०४३ आदित्यपाक गु
देवरसः दुर्बल शरीरको अत्यन्त डूची तैलम् केशरोपण
पुष्ट करता है। ९३५४ काकमाच्यादि
८९८० अमृतार्णर रसः अत्यन्त वृष्य, अग्निवर्द्धक तैलम् नस्य लेने से बाल काले ८९८१ , , कृष व्यक्तिको पुष्ट करताहै हो जाते हैं। ८९८२ अमृतेश रसः ६ मासमें जराको नष्ट
करता है । आयुवर्द्धक लेप-प्रकरणम्
८९९१ अश्वगन्धापाकः अत्यन्त कामोत्तेजक,सर्व८८८० अरिष्टकादिले. अयोनि व्यभिचार जनित
दोष नाशक नपुंस्कता
९०५६ आनन्दसूत रसः समस्त रोग नाशक, वैद्य८८८५ अर्क क्षारादिले० १ मासमें हस्तव्यभिचार
___ को यश दिलाने वाला जनित नपुंस्कता और | ९४६८ कज्जलीरसा० ६ मासमें जराको नष्ट शिथिलताको नष्ट करताहै
करता है। ९११९ उत्पलायुद्वर्तनम् बलिपलित | ९४७९ करतूरी रसः वृष्य, वाजीकरण क्षुधा९१६८ एलादि लेपः नपुंस्कताको अवश्य नष्ट
वर्द्धक करता है। ९४८४ कामदीपकः वाजीकरण ९३९३ करवीरजटा लेपः वीर्यस्तम्भक ९४८८ कामदेवो र० अत्यन्त वाजीकरण ९३९४ करवीरत्वगा० ले० नपुंस्कता ९४८९ , , स्तम्भक, पौष्टिक, वाजी० ९३९८ करवीरादि ले० कामोद्दीपक ९४९१ कामनायकर० अत्यन्त कामवर्द्धक ९४०२ कारादिले, अत्यन्त वीर्यस्तम्भक । ९४९३ कामवाणो र० कामशक्ति यर्द्धक, नपुं.
स्कता नाशक
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