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उदावर्त ]
मिश्र-प्रकरणम्
चूर्ण-प्रकरणम्
९११० उर्वारुवी जादि यो० मूत्रावरोध जनित उदा० ८९९६ अगारधूमादि वर्तिः उदावते
लेप-प्रकरणम्
९१६९ एलादि लेपः
९३९५ करवीर लेपः
अवलेह - प्रकरणम्
९११६ उशबावलेहः उपदंश फिरंग, रक्तदोष
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परिशिष्ट ( चि. प. प्र. )
(११) उदावर्ताधिकारः
८८५७ अजामूत्रादि तै० ८८५८ अतिविषादि तै० ८८६८ अश्वत्थपत्र तै०
૧૧૦
(१२) उपदंशाधिकारः
कषाय-प्रकरणम्
९०९९ आईकादिस्वरसः कर्णशूल
९९९९ कपित्थादि योग:
"
उपदेश, ब्रण, दाह, शोथ उपदंश जनित असाध्य
लिङ्ग पीड़ा
तैल-प्रकरणम् कर्णशूल कर्णस्राव, कर्णनाद
कर्ण पीड़ा को शीघ्र नष्ट करता है
९१६१ एरण्डपत्रादि तै० कर्णपीड़ाको तुरन्त नष्ट
करता है ९१६२ एरण्डादितैलम् कर्णनाद, वधिरता,
कर्णशूल
(१३) कर्णरोगाधिकारः
९४१३ कुमारिकादिले० उपदेशणों की दाह,
पीड़ा पाक को अवश्य नष्ट करता है (सरल योग )
९१३३ उपदंशान्ध सूर्यः ९४६७ कज्जली योगः
रस-प्रकरणम्
९१३२ उपदंशन रसः उपदेशको मुख आए बिना
करता है
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९३३७ कटुतुम्य्यादि तै० ९३४९ कर्णामृत तैलम्
९३५३ काकजंघा तै०
६४६
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फिरंग
उपदंश नाशक उत्तमयोग
कर्णपालीवर्द्धक
मनुष्य, हाथी और घोड़े कर्ण रोग, शिरोरोग
लेप
-प्रकरणम्
९४२७ केतक्यादि लेपः कर्णमूलव्यथा
रताको अवश्य नष्ट करता है । (स० यो०)
मिश्र-प्रकरणम्
९००६ अर्काङ्कुरादि यो० कर्णशूल