________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
मिश्रमकरणम् ]
उद्धृत्य तं लोहरजो विमिश्रं पिवेद्रसं क्षौद्रघृतोपपन्नम् ॥ मलेपनाभ्यञ्जनपानयोगे -
सेन हन्यात्वलं हि कुष्ठम् । पामयाः श्वयथुममेहानुद्धृत्य दोषान् प्रणुदेव सः ॥
य एष दृष्टः खदिरस्य कल्पः सर्वायानां शमने समर्थः । स एव निम्बासनदेवदारु
www.kobatirth.org
परिशिष्ट
रोहीतकारग्वध शिशपानाम् ॥
उत्तम भूमि में उत्पन्न हुवे निरोग खदिर वृक्ष के नीचे एक बड़ा सा गढ़ा खोदें और फिर उस वृक्ष की जड़को निकालर ( टुकड़े करके ) तुरन्त ताम्रकलशमें भरकर उसका मुख बन्द कर दें । और उस पर चारों ओर मिट्टीका लेप करके उपरोक्त गढ़े में रखकर उसे कण्डों से ढककर आग लगा दें | जब अग्नि स्वांग शीतल हो जाय तो कलश से रसको निकालकर सुरक्षित रक्खें ।
इसमें लोहभस्म, घी और शहद मिलाकर सेवन करनेसे तथा इसका लेप और अभ्यङ्ग करनेसे ? मासमें प्रबल कुट, पाण्डु, अर्श, शोथ और प्रमेहका नाश हो जाता है ।
उपरोक्त विधि से नीम, असन, देवदारु, रोहितक, अमलतास और शीशम का पृथक् पृथक् रस निकालकर सेवन करने से भी उपरोक्त लाभ होता है। (९५९६) खदिररसायनम्
(वृ. मा. । कुष्टा.) दह्यमानाच्च्युतः कुम्भे मूलगे खदिराद्रसः ।
-0-00
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
यात्रीरक्षो इन्यात्कुष्ठं रसायनम् || खैर वृक्षको जड़के थोड़ा ऊपर से काट डालें फिर उसकी जड़के भीतर एक गहरा गढ़ा खोदकर उसमें मिट्टीका घड़ा रख दें तथा वृक्षको ईंधन से ढक कर आग लगा दें। इस विधिसे घड़े में जो रस एकत्रित हो उसमें घी, आमलेका रस और शहद मिलाकर पीने से कुष्ठ नष्ट होता है । यह प्रयोग रसायन भी है। (९५९७) खदिरादियोगः (१)
1
६४१
( वा. भ. । चि. अ. १९ कुष्ठ. चि. ) खदिरवृष निम्बकुटजाः
श्रेष्ठाः कृमिजित्पटोलमधुपर्ण्यः । अन्तर्बहिः प्रयुक्ताः कृमिकुष्ठनुदः सगोमूत्राः ॥
इति कारादिमिश्रप्रकरणम्
खैरसार, बासा, नीम, कुड़ेकी छाल, त्रिफला, बायबिडंग, पटोल और गिलोय; इनके अन्तः और बाह्य प्रयोग से (क्वाथादि करके पिलाने और लेप, तेल आदि के रूपमें लगाने से ) कृमि तथा कुष्ठका नाश होता है । इन्हें गोमूत्र के साथ प्रयुक्त करना चाहिये ।
(९५९८) खदिरादियोगः (२) ( वा. भ. । उ. अ. २२ ) खदिरायोवरापार्थमदयन्त्यहि मारकैः । गण्डूषोऽम्बुमृतैर्यो दुर्बलद्विजशान्तये ॥
खैरसार, लोह, त्रिफला, अर्जुन, मदयन्तिका ( चमेली भेद ) और विट् खदिर (दुर्गन्धित खैर); इनके नाथ गडूष धारण करनेसे दुर्बल दांत हो जाते हैं ।
For Private And Personal Use Only