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भारत - भैषज्य रत्नाकर
अथ अकारादि गुग्गुलु प्रकरणम्
गुग्गुल व्याख्या
जिन औषधियों में प्रधान उपादान गुग्गुलु (गूगल) होता है उन्हें गुग्गुलु कहते हैं । अनेक बार गुग्गुल का पाक किया जाता है और अनेक बार दवाइयों में मिलाकर घी आदि के साथ कूटा जाता है, गुग्गुलु का पाक भी गुड़ आदि के समान ही किया जाता है । परन्तु गुड़ आदि का पाक सिद्ध होने पर पतला रहता है और गुग्गुलु घन रहता है । यदि पानी में डालने से नीचे बैठ जाय और इधर उधर फैल न जाये तो पाक सिद्ध समझना चाहिये |
यदि पाक न करना हो तो दवाइयोंका चूर्ण मिलाकर हामिन दस्ते में डालकर खूब कूटना चाहिये और बीच बीच में थोड़ा २ घी डालते रहना चाहिये। जितना ही अधिक कूटा जाय उतना ही उत्तम है ।
अकारादि गुग्गुलु प्रकरणम् [१३२] अभयादि गुग्गुलुः (भै. र. परिशिष्टे अभयामलकीद्राक्षाः शताह्वां ब्रह्मयष्टिकाम् । शारिवाद्वयमजिष्ठा निशादारुनिशावचाः || शिथिलं वाससा वद्धं गुग्गुलुश्चाष्टमुष्टिकम् । सार्द्धद्रोणे जले पक्त्वा पादे शिष्टेऽवतारयेत् ॥ ततस्तं गुग्गुलं तस्मिन्काथतोये पुनः पचेत् । सिद्धप्रये क्षिपेत्पामुलींमधुकं मुराम् ॥ चातुर्जातं विडङ्गं च देवपुष्पं दुरालभाम् । त्रिवृतां त्रायमाणाञ्च त्र्यूषणं च पलोन्मितम् ॥ अभयादिरसौ हन्ति गुग्गुलुः स्नायुसम्भवान् । मास्ति कानपि रोगांश्च मधुना सह सेवितः ॥
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हरीतकी, आमला, दाख, सोया, भारङ्गी, दो प्रकारकी शारिवा, मजीठ, हल्दी, दारु हल्दी और बचा, (५-५ तोला) सब को समान भाग ले अ कूटा कर २४ सेर पानी में चढा कर इसमें आध सेर गूगल पोटली में ढीला बांध कर डालदे और पकावे जब चौथाई पानी शेष रहे तब उता -
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रले । फिर इस गूगलको इस क्वाथमें पकावे, पाक सिद्ध होने पर, सफेद मूसली, मुलैठी, मुरामांसी, चातुर्जात, बायबिडङ्ग, लौंग, घमासा, निसोत, त्रायमाणा, त्रिकुटा, प्रत्येक का ५-५ तोले चूर्ण मिलावे । यह गूगल स्नायु और मस्तिष्क सम्बन्धी रोगोंका नाश करता है | अनुपानः - मधु
[१३३] अमृतादि गुग्गुलः (१) (भै. र. स्थौ.)
अमृता त्रुटि वेल्लवत्स कं,
कलिङ्गपथ्यामलकानि गुग्गुलम् । क्रमवृद्धमिदं मधुप्लुतं,
पिडिका स्थौल्य भगन्दरं जयेत् ॥
गिलोय, छोटी इलायची, वायबिडंग, कुडेकी छाल, इन्द्रयव, हैड़, आमला और गूगल यथा क्रम १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८ भाग लेकर गूगलमें समस्त औषधियोंका चूर्ण मिलाकर सुरक्षित रक्खें । इसे मधु में मिलाकर सेवन करने से पिड़िका, स्थौल्य और भगन्दर रोग का नाश होता है ।
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