SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 581
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५६२ भारत-भैषज्य-रत्नाकरः [ककारादि ___ कमीला, बायबिडंग और दारुहल्दी की छाल करनकी छिलके रहित मांगीको पीस कर उसमें का चूर्ण समान भाग मिलित १० तोले ले कर थूहरके पत्तों का रस मिला कर मर्दन करें और उसे पानी के साथ पीस लें । तदनन्तर १ सेर तेल में यह धूप में रख दें। धूपकी गरमी से जो तेल निकले कल्क और ४ सेर पानी मिला कर पकायें। उसे एकत्रित कर लें । जब पानी जल जाए तो तेलको छान लें। इसे पीनेसे अन्तर्विदधि और लगानेसे बाह्य यह तैल व्रण और ग्रन्थि को नष्ट करता है। | विद्रधि का शीघ्र नाश होता है । (९३४२) कम्पिल्लकाद्यतेलम् ( चूर्णको अधिक गोला नहीं करना चाहिये और चीनीके पात्रमें भर कर उसको तिरछा करके (व. से. । विस्फोटा.; वृ. यो. त । त. १२५ ) | इस प्रकार रखना चाहिये कि जिस से तेल बह कर कम्पिल्लकं विडङ्गानि वत्सकं त्रिफलां बलाम् । चूर्ण से पृथक् हो जाए। पटोळं पिचुमन्दश्च लोभ्रं मुस्तप्रियङ्गुकम् ॥ धातकी खदिरं सर्जमेला चागुरु चन्दनम् । (९३४४) करवीरादितैलम् पिष्ट्वा तैलं भवेत्साध्यं तत्तैलं व्रणरोपणम् ।। (वै. म. र. । पटल ११) - कल्क-कमीला, बायबिडंग, कुड़ेकी छाल, रक्तकरवीरमुकुलान्यादाय शतं शतेन मरिचेन । हर, बहेड़ा, आमला, खरैटी, पटोल, नीमकी छाल, पिट्वा धृतं तिलोत्थं कुडवं पामां हरेल्लेपात् ॥ लोध, मोथा, फूलप्रियंगु, धायके फूल, खैरसार, राल, | लाल कनेर की कली १०० नग और काली इलायची, अगर और सफेद चन्दन, इनका समान | मिर्च १०० नग लेकर एकत्र पीस लें तथा ४० भाग मिलित चूर्ण २० तोले ले कर सबको पानीके | तोले तिलके तेलमें यह कल्क ( पिट्टी) और २ साथ पीस लें। सेर पानी मिला कर पकावें । जब पानी जल जाय २ सेर तिलके तेलमें यह कल्क और ८ सेर | तो तेल को छान लें। पानी मिला कर पकावें | जब पानी जल जाए तो यह तेल लगाने से पामा ( खुजली ) नष्ट हो तेलको छान लें। जाती है। इसे लगाने से व्रण भर जाते हैं। (९३४५) करवीराधं तेलम् (१) (९३४३) करञ्जतैलम् (२. र. । नासा.) (वै. म. र. । प. ८) करवीरस्य नक्तस्य मालत्यास्फोतयोरपि । करनास्थीनि सम्पेष्य वितुपीकृत्य चूर्णयेत् । पुष्पकल्कैः शृतं तैलं नासाझे नाशनं परम् ॥ स्नुग्दलस्वरसेनैव मृदित्वा रविसन्निधौ ॥ | कनेर, करञ्ज (डहर करन), मालती चमेली) तैलं गृहीत्वा तत्तैलं बाथान्तरुपयोजयेत् । और आस्फोता ( कचनार ); इनके फूल २॥ २॥ अन्तर्विद्रधिमाश्वेव नाशयेदाह्यजं तथा ॥ तोले ले कर पानी के साथ पीस लें १ सेर तेलमें यह For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy