________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
कषायप्रकरणम् ]
परिशिष्ट
४६७
-
-
-
२
tke
आ
अथाकारादिकषायप्रकरणम् ( ९०१२ ) आटरूषकादिकषायः (९०१४ ) आम्रादिफाण्ट: (ग. नि. । कासा १०)
(शा. सं.। खं. २ अ. ३) आटरूपकलघुकण्टकारिका
आम्रजम्बूकिसलयैर्वटशुङ्गप्ररोहकैः । देवदारु च विभीतनागरम् । उशीरेण कृतः फाण्टः सक्षौद्रो ज्वरनाशनः ॥ पक्वमाद्यमिदमेव पिप्पली
पिपासाच्छर्घतीसारान् मूछी जयति दुस्तराम् ।। कुष्ठचूर्णसहितं च कासजित् ।। ___आमकी कोंपल, जामनकी कोंपल, बड़के
बासा (अडूसा), छोटी कटेली, देवदारु, बहेड़ा | अंकुर और खस समान भाग लेकर फाण्ट वनावें। और सोंठ समान भाग लेकर क्वाथ बनावें।
इसमें शहद मिलाकर पीनेसे ज्वर, प्यास, इसमें कूठ और पीपलका चूर्ण मिलाकर पीनसे छर्दि, अतिसार, और दुस्तर मूर्छाका नाश कासका नाश होता है।
होता है। (९०१३) आम्रत्वक्पुटपाकः (वै. म. र.। पटल ६)
(९०१५) आरग्वधादिक्वाथः (१) रसो निहन्त्यतीसारमा त्वक्पुटपाकजः। ___ (हा. सं. । स्थान ३ अ. ४२ ) तैलेन युक्तो रक्ताढयं सबलासं सनिःस्रवम् ॥ | आरग्वधो धातकी कर्णिकार ___ आमकी ताजी छालको कूटकर केले या वार्जु नैः सर्जककिंशुकानाम् । बड़के पत्तोंमें लपेट कर गोला बना और उसे | कदम्बनिम्बैः कुटजाटरूपैः कुशादिसे बांधकर उस पर मिट्ठीका लेप करके | खदिरेण युक्ताश्च तथैव मूर्वा ॥ कण्डोको आगमें रखकर पकावें। जब ऊपरकी मूलानि चैषामुपहृत्य सम्यक मिट्टी लाल हो जाए तो आमकी छालको निकाल __ अष्टावशेषः क्वथितः कषायः। कर कपड़ेमें बांधकर रस निचोड़ें।
घृतेन तुल्यं प्रतिमानमस्य इसमें तेल मिलाकर पीनेसे रक्त युक्त और | निहन्ति सर्वाणि शरीरजानि ॥ फफ प्रधान अतिसारका नाश होता है। कुष्ठानि सर्वाणि विसर्पदद्रु(मात्रा-१ तोला ।)
विचर्चिको हन्ति नरस्य शीघ्रम् ।।
For Private And Personal Use Only