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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अकारादि-चूर्ण (२३) ___(च. सं.) एलेयक, मूल सहित मुद्गपर्णी, शतावर, | अमृतेन्द्रयवारिष्टपटोलं कटुरोहिणीम् । विदारीकंद, वाराहीकंद, मुलहठी, महुवा, बंसलोचन | नागरं चन्दनं मुस्तं पिप्पलीचूर्णसंयुतम् ॥ और दाख प्रत्येक १०-१० तोले सरलकाष्ट, सफेद अमृताष्टक इत्येष पित्तश्लेष्मज्वरापहः । चन्दन, दालचीनी, नीलोफर, कुमुद, दोनों काकोली, | हल्लासारोचकच्छर्दिपिपासादाहनाशनः ॥ मेदा, महामेदा, जीवक, ऋषभक, चीनी प्रत्येक २॥ हरड़, इंद्रयव, नीम, पटोलपत्र, कुटकी, सोंठ, तोला ।इन सब का चूर्ण कर उसे एलेयक, विदारी- | चन्दन, नागरमोथा और पीपल । इनका चूर्ण कंद, वाराहीकंद और मुद्गपर्णी तथा शतावर के पितश्लेष्म-ज्वर, उबकाई, अरुचि, छर्दि, पिपासा रस की भावना दे और फिर सब को ईख, आमला | और दाह का नाश करता है । और शहद की सात बार भावना देकर रक्खे। [७२] अम्लकादि चूर्णम् इस चूर्णको प्रातःकाल दूधके साथ पीनेसे अङ्गदाह, शिरोदाह, प्रबल रक्तपित्त, शिरका कांपना और चतुर्णा प्रस्थमम्लानां त्र्यूषणं च पलत्रयम् । आंखका फड़कना, भ्रम इत्यादि रोगोंका नाश लवणानां च चत्वारि शर्करायाः पलाष्टकम् ॥ होता है। संचूर्ण्य सूपानरागादिष्ववचारयेत् । [६९] अमृतादि चूर्णम् (१) कासाजीरुचिश्वासहृत्पाण्डामयगुल्मनुत् ॥ (भा. प्र., म. खं. आ. वा.) | चतुराम्ल १ सेर, त्रिकुटा १५ तोला, लवण २० अमृतानागरगोक्षुरमुण्डितिकावरुणकैः कृतं । | तोला, चीनी ४० तोला, इस चूर्ण को दाल और चूर्णम् । अन्नादि में डाल कर सेवन करने से खांसी, मस्त्वारनालपीतं सामानिलनाशनं ख्यातम् ॥ अजीर्ण, अरुचि, श्वास, हृद्रोग, पाण्डु और गुल्म गिलोय, सोंठ, गोखरु, गोरख मुण्डी और का नाश होता है। बरना। इनका चूर्ण मस्तु और आरनाल के साथ [७३] अयोरजादि चूर्णम् पीने से आमवात का नाश होता है। [७०] अमृतादि चूर्णम् (२) (बृ. नि. र. काम.) (वृ. नि. र., वा. र.) अयोरजोव्योषविडङ्गचूर्ण अमृता कटुका शुण्ठी यष्टीकल्क समाक्षिकम् ।। लिह्याद्धरिद्रात्रिफलान्वितं वा। गोमूत्रपीतं जयति सकर्फ वातशोणितं ॥ सशर्कराकामलिनांत्रिमण्डी गिलोय, कुटकी, सोंठ और मुलैठी । इनका चूर्ण हितागवाक्षी सगुडाचशुण्ठी ॥ शहद के साथ चाटकर ऊपर से गोमूत्र पीने से | लोहचूर्ण, त्रिकुटा, बिडंग, हल्दी और त्रिफला । कफ दोषयुक्त वातरक्त को आराम होता है। अथवा निसोत और मिश्री वा इन्द्रायण का गूदा, [७१] अमृताष्टक चूर्णम् गुड़ और सोंठ मिलाकर खाने से कामला को (भै. र. ज्व. चि.) आराम होता है। For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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