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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी उपदंशाधिकार संख्या प्रयोग-नाम प्रधानगुण । संख्या प्रयोग-नाम प्रधानगुण ९२७ कृष्णाजन उन्माद ५३२ उन्मादगजाश विशेषतः भूतोन्माद, दोषोन्माद ५३० उन्मादगजकेसरी (१) उन्माद, अपस्मार ५३३ उन्मादभञ्जन उन्माद, अपस्मार, कृ(२) उन्माद, अपस्मार, शता, रक्तपित्त, भूतोन्माद ज्वर ५३४ उन्माद हर योग उन्माद, अपस्मार १३ उपदंशाधिकार कषाय लेप ३७ अश्वत्थादिप्रक्षालन आतशक के घाव और ५०२ उपदंशलिंगलेप धाव सूजन ५०३ उपदंशस्फोटेऽवलेप व्रणशोधक, रोपक ३६७ आम्रत्वचाका स्वरस आतशक के घाव ५०४ उपदंशहर लेप उपदंश के घाव घत ८२५ करञ्जाय घृत उपदंश के घाव, दाह,पाक | ५०९ उपदंशहर धूप आतशक (उपदंश) घाव से स्राव होना, लाली रस | ५३५ उपदंशकुठार उपदंश १७६ आगार धूमादि उपदंश, खुजली, सूजन, | ५३६ उपदेशेभसिंह उपदंश, सन्धि और वणणशोधन, रोपण अस्थिशोथ __१४ कर्णरोगाधिकार | ८६३ कर्णामयध्न तैल समस्त कर्ण रोग २९ अर्काङ्कुरादि स्वरस कान का दर्द ८७७ कुष्ठ तैल पूतिकर्ण ३० अर्कपत्र , , ८८५ कृमिकर्णारि कान से कीट पतंगादि ६२३ कर्ण प्रक्षालन कर्णरोग वाहर निकलता है वटिका लेप ४५८ इन्दु वटी कर्णनादादि वातजरोग, प्रमेह २०६ अर्कलेप कर्णमूल रस १८१ अपामार्ग थार कर्णनाद, बधिरता । ९६४ कर्णरोग हर कर्णरोग कषाय For Private And Personal Use Only
SR No.020114
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1985
Total Pages700
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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