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चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
अग्निमांद्याजीर्णाधिकार
संख्या प्रयोग-नाम प्रधान गुण संख्या प्रयोग-नाम प्रधान गुण कषाय
९८ अग्नितुण्डी वटी अग्नि वर्दक ६२२ करादि घोर विधूचिका
९९ ,, दीपनी ,, ,
१०५ अजीर्णहरी ,, अग्निमांद्य, शूलादि अनेक रोग चूर्ण
११८ अमृतकल्प ,, शूल, मन्दाग्नि, अजीर्ण ४४ अग्निकर अग्निदीपक, अतिसारहर ११९ अमृतपमा ,, अजीर्ण, अग्निवर्द्धक ४५ अग्निमुख गुल्म, अरुचि, अग्निमांद्य,शूल । १२० अमृत वटी अजीर्ण,कफ,वायु,दीपन,रोचक तिल्ली, उदररोग, वायु, अजीर्ण,
१२१ ,, , कफ, पित्त, अग्निमांद्य उदावर्त, विष आदि ७५७ कारख्यादि गुटिका अरुचि नाशक ४७ अग्निमुख लवण तिल्ली, जिगर, उदररोग,अग्नि० ५६ अतिविषादिचूर्ण अग्निवर्द्धक, कोष्ट-वायु-नाशक
१४८ अमृत हरीतकी अजीर्ण, मन्दाग्नि, उदररोग, ७२ अम्लकादि खांसी, श्वास, अरुचि,
शूल, ग्रहणी, अर्श,आमवात ६८३ कणादि अजीर्ण-नाशकऔर अग्निवर्द्धक
घृत ६८७ कपित्थादि उदर व्याधि ७०३ कारव्यादि सब प्रकार की अरुचि
१५६ अग्निघृत (१) अग्निमांद्य, अर्श, गुल्म, ७३२ कोलास्थियोग भस्मक रोग
__ भगन्दर, ग्रहणी, शोथ आदि
| १५७ ,, ,, (२) अग्निमांद्य, अर्श, प्लीहा, गुटिका
जलोदर, कुष्ठ, प्रमेह, सूजन ९७ अग्निजननी वटी अग्नि वर्द्धक
आदि अनेक रोग
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