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(२३६)
भारत-भैषज्य-रत्नाकर।
[७८३] कण्टकार्यवलेहः (२) । मिला कर खाने से वमन और कफ का नाश (यो. र; व. से. वामे)
होता है। चित्रकं पिप्पलीमूलं व्यो मुस्तं दुरालमा। [७८६] कल्याणकावलेहः (यो. र. । ग्रह.) शटी पुष्करमूलं च श्रेयसी सुरसा वचा॥ पाठाधान्ययवान्यजाजिह
पुषाचव्यग्निसिन्धूद्भवैः। भार्गी छिन्नरुहा रास्ता कर्कटाख्या च कार्षिकान। .
"सश्रेयस्यजमोदकीटरिपुभिः कृष्णाजटासंयुतैः।। कल्कानिदिग्धिद्वितुला कषाये पलविंशतिः ॥
सव्योषैः सफलत्रिकैः मत्स्यण्डिकाया दत्वा तु सर्पिषः कुडवं पचेत् ।।
डव पचत् ।। सत्रुटिभिस्त्वपत्रकैरौषधै। सिद्धशीतेपृथक्क्षौद्रपिप्पलीकुडवान्वितम् ॥ | रित्यक्षामितः सतैलकुडवैः साधं त्रिवृन्मुष्टिभिः चतुष्पलं तुगाक्षीर्याश्चूर्ण तत्र प्रदापयेत् । । एतैरामलकीरसस्य तुलया साद्धं तुलाई गुडात् । लेहयेत्कासहद्रोगश्वासगुल्मनिवारणम् ॥ पत्तव्यं भिषजावलेहवदयं प्राग्भोजनाद्धक्षितः।। ____ कटेलीके २५ सेर कषायमें चित्ता, पीपलामूल
ये केचिद्ग्रहणीगदाः सगुदजाः त्रिकुटा, नागरमोथा, धमासा, कपूरकचरी, पोखर
कासाः सशेषामयाः। मूल, गजपीपल, तुलसी, बच, भार्गी, गिलोय,रास्ना
सश्वासाः श्वयथुस्वरोदररुजा और काकड़ासींगीका ११-१। तोला कल्क एवं
कल्याणकस्तां जयेत् ॥ श सेर मिश्री और ४० तोला घृत डालकर पकायें आमलेका रस १२॥ सेर, गुड़ २५० तोला, और पकनेके बाद ठंडा होने पर उसमें ४० तोला तेल ५० तोला; और पाठा, धनिया, अजवायन, शहद तथा पीपल और बंसलोचनका चूर्ण २०- जीरा, हाऊबेर, चव, चीता, सेंधानमक, गजपीपल, २० तोला मिलावें।
अजमोद, बायबिडंग, पीपलामूल, सोंठ, कालीमिर्च, ___ इसको मेवन करनेसे खांसी, हृद्रोग, श्वास पीपल, हैड़, बहेड़ा, आमला, छोटी इलायची, और गुल्मका नाश होता हैं।
दालचीनी और तेजपात प्रत्येक १०-११ तोला ६७८४ कण्टकार्यवलेहः (३) (भा.प्र.से.) तथा निसोत ५ तोला, इन चीज़ोंके कल्कके साथ व्याघ्री सुमनसंजातकेशरैरवलेहिका। लेह पाक सिद्ध करें। मधुना चिरसंजातां छिशोः कासान् व्यपोहति इसे भोजनके पहिले सेवन करनेसे संग्रहणी,
___ कटेलीके फूलको जीरा शहदमें मिलाकर चटा- बवासीर, खांसी, श्वास, सूजन, स्वरभंग और उदर नेसे बालकोंकी पुरानी खांसीको आराम होता है।
रोगोंका नाश होता है।
[७८७] कल्याणगुडः [७८५] करंजाधवलेह (वृ. नि. र. छर्दि.)
| (वं. से. पाण्ड; ग. नि .गुटिका; वृ. यो. त. त.६७) कोमलकरंजपत्रं सलवणमम्लेन संयुक्तम् ।। १. ग. नि. में चन्य, सोंठ, हाउबेर, गजयः खादति दीनवदनश्छदिकफौ तस्य कुत्रेह ।। पीपल, अजवायन, पाठा, तेजपात और इलारायीका अभाव है। करञ्जवेके कोमल पत्तों (कोंपलों) को सेंधा य
। २... यो. त. में सेंधेके स्थान पर पंचनमकके साथ पीसकर अनारका रस (या कांजी) लवण है।
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