________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
ककारादि-गुटिका
हितकारी वृद्धों के लिये कामोत्तेजक और राजाओं के सेवन करने योग्य हैं। अन्य ग्रन्थों में इसीका नाम महाकामेश्वर लिखा है । अनुपान - दूध, मिश्री ।
[७५६] कामेश्वरो मोदकः (२) (भै.र. । ग्रह.) धात्री सैन्धवकुष्ठकट्फलकणा शुंठीयमानाद्वयम्
समरिचं पथ्याक्षमेभिः समम् ॥ चूर्णीकृत्यमनाक् स्वबीजसहितं भृष्ट्वा तु शक्राशनम् । सर्वेषां द्विगुणां सि
सुविमलां यत्नाद्भिषनिःक्षिपेत् । क्षौद्रञ्चापिघृतं प्रशस्तदिवसे कुर्य्याच्छुभान्मोदकान् ।
कर्पूरेश्वचूर्णितानपिहितान् दवातिलान् भर्जितान् ॥
artis क्षतिमण्डले
मितधियां पाषण्डिनामग्रतः ॥ आधिव्याधिहरस्तयाक्षयहरः कुष्ठापो बृंहणः ।
स्त्रीणां तोषकमुस्तद्युतिकरः शुक्राग्निवृद्धिप्रदः।। कासश्वासबलासरोगनिचयप्रध्वंसनः प्राणिनाम्। प्रोक्तो ब्रह्मसुतेन सर्वसुखदः कामेश्वरो मोदकः॥ ग्रहगणपरिहीनः सर्वशास्त्राप्रवीणः
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
यष्टीजीरकयुग्मधान्यकशटी शृङ्गीव चाकेशरम् । यस्मात् काव्यकुतुहलं सुकविता
तालीशं त्रिधिकं
गमयति युवतीनां केलिकौतूहलेन । यदिकथमपिञ्चक्तो भोजनादावथान्ते
सुरतरभसमुच्चैर्नष्टकामं प्रकामम् ॥
यस्माभव्य बृहस्पतिस्तनुधिया यस्मात् सदाबीर्यवान् ।
यस्मादुन्मददाक्षिणात्ययुवती
(२२९)
सम्भोग कौतूहली ॥
संजायते लीलया ।
श्रीमद्भिः प्रतिवारं क्षितितले संसेव्यतां मोदकः ॥
For Private And Personal Use Only
आमला, सेंधा, कूठ, कायफल, पीपल, सोंठ, अजवायन, अजमोद, मुल्हैठी, जीरा, काला जीरा, धनिया, कपूरकचरी, काकड़ा सींगी, बच, नागकेसर, तालीसपत्र, दालचीनी, इलायची, तेजपात, काली मिर्च, हैड़ और बहेड़ा । प्रत्येकका चूर्ण समान भाग । बीज सहित भुनी हुई भांगका चूर्ण सबके समान, चीनी सबसे दोगुनी । खांडकी वासनी करके उसमें सब चीजोंका चूर्ण और घी तथा शहद मिलाकर यथाविधि मोदक बनावें एवं उसके ऊपर कपूर तथा भुने हुवे तिलोंका चूर्ण लगावें ।
यह पाखण्डियों और अल्पबुद्धि वाले मनुष्यों से छिपाने योग्य, आधि व्याधि हर, क्षय नाशक, कुष्ठ नाशक, बृंहण, स्त्रियोंको सन्तुष्ट करने वाला, सौन्दर्य वर्द्धक, कामाग्नि दीपक, खांसी, श्वास और कफरोग नाशक है।
कलितविमलकीर्तिः प्राप्तकन्दर्पमूर्तिः ।
विगतसकल भीति गतवाद्याङ्गनीति
इसके सेवन से ग्रहदोष नष्ट होते हैं । एवं
र्भवति भ्रुवि स देवो येन भक्तः प्रयत्नात् ॥ मनुष्य सर्व शास्त्रों में प्रवीण, कीर्तिवान, काम देव
रहसि युवतिखेला सम्पुट । कर्षहर्षाद्
तुल्य सुन्दर, निडर, गीतवाद्यादिमें निपुण हो जाता है । सारांश यह कि यह मोदक अनेक रोगनाशक और अतीव काम वर्द्धक हैं।