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कर्षो रसो गन्धकमभ्रमं च द्विक्षारचित्र लवणानि पञ्च । शीवानीद्वयकी हारि
तालीशपत्राणि परं विषं च ॥
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सब चीज़ोंका चूर्ण समान भाग । अभ्रक भस्म सबसे २ गुनी । शुद्ध भांग सबसे चौथाई और इन सबसे २ गुनी खांड मिलाकर शहद और घीके साथ मोदक बनावें । मात्रा २ माशेसे ४ माशे तक। [७५४] कामाग्निसंदीपनो मोदकः ( यो. र. वाज़ी . )
ककारादि-गुटिका
कामानिसंदीपनमेनमाहुः | वृष्यं तथा परतरं सततं सदीप्य
जीरं चतुर्जातलवङ्गजाती..
फलं च कर्षत्रयमेवमन्यत् । सुवृद्धदारं कटुकत्रयं च तथा चतुष्कर्षमिदं निबोध | धान्याकयष्टीमधुकं कसेरु फलं पृथकपञ्चपलं विदारी दन्ती कणा चातिबलात्मगुप्ता
बीजं तथा गोक्षुरकस्य बीजम् ॥ सबीजपूरेन्द्ररजः समानं
समा सिता क्षौद्रयुतं च तुल्यम् । कर्षैकमिन्दोरथमोदकं च
मेनं निषेव्य मनुजः प्रमदासहस्रम् । गच्छेन्न लिंग शिथिलत्वमेव
नागाधिपं विजयते बलतः प्रमत्तः ॥ वातानशीतिमथ पित्तभवांश्च रोगान् श्लेष्मोत्थविंशतिरुजः परमाग्निमान्द्यम् । * वरी बिदारी। बलेभकर्णभबलात्मगुप्ताफलं तथेति पाठान्तरम् ।
* घृतश्चेति वा पाठाः ।
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( २२७ )
दुर्वारकामलभगंदरपाण्डुरोगान् मेहातिसार कृमिहृद्ग्रहणीविकारान् ॥ कासज्वरश्वसनयक्ष्मकफप्रतिश्याय शूलामवातसहिताश्च रुजः समस्ताः । हत्वा गदान्बहुविधांस्तदपत्यकारी सर्वत्रपथ्यमथ सर्वसुखप्रदायी ॥
बल्यं वलीपलितहारी रसायनं स्यान्मूलं तदेव कथितं परमं पवित्रम् ॥
शुद्ध पारा, शुद्ध गन्धक, अभ्रक भस्म, जवाखार, सज्जीखार, चीता, पांचों नमक, कपूरकचरी, अजवायन, अजमोद, बायबिडंग, तालीसपत्र, शुद्ध मीठा तेलिया, जीरा, दालचीनी, इलायची, तेजपात, नागकेसर, लौंग और जायफल प्रत्येक ११ - १। तोला । विधारा और त्रिकुटा ३ ||| - ३|| तोला, धनिया, मुल्हैठी और कसेरू प्रत्येक ५-५ तोला, विदारीकन्द, दन्ती, पीपल, गंगेरन, कौंच के बीज और गोखरू प्रत्येक २५ - २५ तोला, विजौरा और इन्द्रजौ का चूर्ण सबके बराबर । खांड और शहद प्रत्येक सब चूर्णके बराबर । कपूरका चूर्ण १। तोला लेकर यथाविधि मोदक बनावें ।
यह मोदक अत्यन्त कामवर्द्धक और वृष्य हैं। इसे अजवायन चूर्णके साथ सेवन करने से अत्यन्त संभोगशक्ति प्राप्त होती है ।
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यह ८० प्रकारके वातज रोग, पित्तजरोग, २० प्रकारके कफज रोग, अत्यन्त अग्निमांद्य, दुस्साध्य कामला, भगंदर, पांडु, प्रमेह, अतिसार, कृमि, हृद्रोग, ग्रहणी विकार, खांसी, ज्वर, श्वास, राजयक्ष्मा, कफज प्रतिश्याय [जुकाम) शूल और आमवात आदि अनेक रोगनाशक, सन्तानोत्पादक, सर्वत्र पथ्य, सुखदायी, बल्य, बली पलित नाशक एवं रसायन है ।