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मामिनी-विलास प्रत्येक श्लोकका वैशिष्टप, उसमें कही गई अन्योक्ति, छन्द, अलंकार तथा तत्सम्बन्धी अन्य सभी जानकारी देनेकी चेष्टा की गई है। भाषाको अत्यन्त सरल करनेका प्रयत्न किया है जिससे सामान्य पाठक भी मूलको अच्छी प्रकार समझ सके । यदि इससे पाठकोंको कुछ भी लाभ हुआ तो हम अपना प्रयत्न सफल समझेंगे। अपनी अत्यन्त व्यस्तता तथा मानवस्वभाव जनित चपलतासे जो त्रुटियाँ रह गई हों, उनके लिये विद्वज्जनोंसे क्षमा चाहते हुए हमें सूचित करनेका निवेदन करते हैं, ताकि वे अगले -संस्करणमें सुधारी जा सकें।
जनार्दनशास्त्री पाण्डेय
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