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व्याख्या
प्रवतिः ॥११२१॥
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सिय अवक्तव्यं आयाति य नो आयाति य ३ सिय आया य नो आया ग ४ सिय आया य अवत्तव्यं ४ सिय नो आया य अवत्तव्यं ४ सिय आया य नो आया य अवत्तब्बं आयाति य नो आयाति य १६ सिय आया य नो आया य अवत्तब्वाई आयाओ य नो आगाओ य १७ सिय आया य नो आयाओ य अवत्तव्यं आयाति य नो आयाति य १८ सिय आयाओ य नो आया य अवत्तच्वं आयाति य नो आयाति य १९ ।
[प्र०] हे भगवन् ! चतुःप्रदेशिक स्कन्ध आत्मा विद्यमान के के तेथी अन्य के-इत्यादि प्रश्न. [-] हे गौतम ! चतुःप्रदेशिक स्कन्ध १ कथंचिद् आत्मा छे, २ कथंचिद् नोआत्मा छे, ३ आत्मा अने नोआत्मा उभयरूपे कथंचिद् अवक्तव्य के, ४.७ कथंचिद् आत्मा अने नोआत्मा ले ४, (एकवचन अने बहुवचनना चार मांगाओ ) ८-११ कथंचिद् आत्मा अने अवक्तव्य के, ४-१२-१५ कथंचिद् नोआत्मा अने अवक्तव्य के ४, १६ कथंचिद् आत्मा अने नोआत्मा तथा आत्मा- नोआत्मारूपे अवक्तव्य छे, १७ कथंचिद् आत्मा, नोभात्मा अने आत्माओ तथा नोआत्मारूपे अवक्तव्यो छे, १८ कथंचित् आत्मा नोआत्माओ तथा आत्मा अने नोआत्मा उभयरूपे अवक्तव्य छे. १९ कथंचिद् आत्माओ, नोआत्मा तथा आत्मा अने अनात्मरूपे अवक्तव्य के.
सेकेणणं भंते! एवं वुबह चउप्पएसिए बंधे सिय आया य नो आया य अवत्तव्यं तं चैव अट्ठे पडिउचा रेयव्वं १, गोयमा ! अप्पणो आदि आया १ परस्म आदिट्ठे नो आया २ तदुभयस्स आदिट्ठे अवत्तव्वं आयाति य नो आयाति य ३ देसे आदिट्ठे सम्भावपज्जवे देसे आदिट्ठे असन्भावपळवे चउभंगो, सम्भावपज्जवेणं तदुभ येण य च भंगो, असन्भावेणं तदुभयेण य चउभंगो देसे आदि सम्भावपज्जवे देसे आदिट्ठे असन्भावपजवे
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१२ शतके उद्देशः १० ॥११२१॥