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Shri Mahavir Jain
andra
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Acharya
S a rsuri Gyanmandir लागे. जम कंद संबन्धे वक्तव्यता कही तेम यावद-बीज संबन्धे पण जाणवी. ॥ ५९२ ।। व्याख्याकति भंते ! सरीरगा पण्णता ?, गोयमा! पंच सरीगंगा पन्नत्ता, तंजहा-ओरालियजावकम्मए । कति ।
७ि प्राप्तिः भंते ! इंदिया पं०१, गोयमा! पंच इंदिया पं०,०-सोइंदिए जाब फासिदिए। कतिविहे गं भंते ! जोए प०१,
१ उद्देशा ॥१४२०॥
ममता जाए ५
१५२०॥ | गोयमा! तिविहे जोए प०, तं-मणजोए चयजोए कायजोए । जीवे णं भंते ! ओरालियसरीरं निम्वत्तेमाणे कति 131 किरिए ?, गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए, एवं पुढधिकाइपथि एवं जाव मणुस्से। जीवाणं भंते ! ओरालियसरीरं निव्वत्तेमाणा कति किरिया:, गोयमा! तिकिरियावि चउकिरियावि पंचकिरियावि, एवं पुढाविकाइया एवं जाव मणुस्सा, एवं वेउब्वियसरीरेणचि दो दंडगा, नवरं जस्स अस्थि वेउब्वियं, एवं जाव कम्मगसरीरं, एवं मोइंदियं जाव फासिदियं, एवं मणजोगं बयजोगं कायजोगं जस्स जे अस्थि तं भाणियवं, एए एगत्तपुहुत्तेणं गच्चीसं दंडगा (सूत्रं ५९३)।
[प्र.] हे भगवन् ! केटला शरीरो कहाँ छ ? [उ०] हे गौतम ! पांच शरीरो का छे, ते आ प्रमाणे-१ औदारिक, यावत्१५ कार्मण. [प्र०] हे भगवन् ! केटली इन्द्रीयो कही । [उ०] हे गौतम ! पांच इन्द्रियो कही छे, ते आ प्रमाणे-१ श्रोत्रेन्द्रिय, टूयावत-५ स्पर्शेन्द्रिय. [म०] हे भगवर! योग केटला प्रकारनो कझो छ ? [उ.] हे गौतम ! योग त्रण प्रकारनो को छे, ते आ
प्रमाणे-मनयोग, वचनयोग अने काययोग. [म.] हे भगवन् ! औदारिक शरीरने बांधतो जीव केटली क्रिायवाळो होय? [उ०] महे गौतम ! औदारिक शरीरने बांधतो जीव कोइवार त्रण क्रियावाळो, कोइवार चारक्रियावाळी अने कोइबार पांच क्रियात्राळो होय. 18
का प्रकारको
रीरने बांधताने कोइवार पा
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