________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
शतक १६. (उद्देशक ११-१२-१३-१४.) व्याख्या
१६ शतके प्रज्ञप्ति
उमेश दीवकुमारा णं भंते ! सब्वे समाहारा सब्वे समुस्सासनिस्सासा?, णो तिणद्वे ममढे, एवं जहा पढमसएट्रा१४१३॥
वितिय उद्देसए दीवकुमाराणं वत्तब्बया तहेब जाव समाउया समुस्सासनिस्मासा । दीवकुमाराणं भंते! कति ॥११॥ लेस्साओ पन्नत्ताओ!, गोयमा! चत्तारि लेस्साओ पन्नत्ताओ, तंजहा-कण्हलेसा जाव तेउलेस्सा । एएसिणं भंते ! दीवकुमाराणं कण्हलेस्साण जाव तेउलेस्साण य कयरे २ हितो जाव विसेमाहिया वा?, गोयमा! सब्व त्थोवा दीपकुमारा तेउलेस्सा काउलेस्सा असंखेनगुणा नीललेस्सा विसेसाहिया कण्हलेस्सा विसेसाहिया। एएसि णं भंते ! दीवकुमाराणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कयरे २ हितो अप्पड्डिया वा महडिया वा?, गोयमा!
कण्हलेस्साहितो नीललेस्सा महाडिया जाव सब्वमहड्डिया तेउलेस्सा । सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाब विहरति । ६ उदहिकुमारा णं भंते ! सब्वे समाहारा० एवं चेव, सेवं०१६-१२॥ एवं दिसाकुमारावि ॥१६-१३ ॥ एवं धणियकुमाराऽवि, सेवं भंते सेवं भंते ! जाव विहरइ ॥१६-१४ ॥ सोलसमं सयं समत्तं (सूत्रं ५९०) ॥१६-१४ ॥
[प्र०] हे भगवन् ! द्वीपकुमारो बधा समानआहारवाला छे, समानउच्छ्वास-निःश्वासचाळा ३१ [उ०] हे गौतम ! ए अर्थ टू समर्थ नथी. अहिं जेम प्रथम शतकना द्वितीय उद्देशकमा दीपकुमारोनी वक्तव्यता कहेली छे ते बधी कहेवी, यावत्-समान आयुष्य
बाळा अने समान उच्छ्वास-निःश्वासवाळा (नथी) त्या सुधी जाणवू [प्र.] हे भगवन् ! दीपकमारोने केटली लेश्याओ कही छे!
AGRAA
For Private And Personal