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व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥१११०॥
|१२शतके | उद्देश:१० ॥१११०॥
अत्धि, जस्स दवियाया तस्स दसणाया नियम अस्थि, जस्सवि दसणाया तस्स दवियाया नियम अस्थि, जस्स दवियाया तस्स चरित्ताया भयणाए जस्स पुण चरित्ताया तस्स दवियाया नियमं अत्थि, एवं वीरियायाएवि समं ।
[म.] हे भगवन् ! आत्मा केटला प्रकारना कह्या छ ? [उ०] हे गौतम ! आठ प्रकारना आत्मा छे, ते आ प्रमाणे-१ द्रव्यात्मा, २ कषायात्मा, ३ योगात्मा, ४ उपयोगात्मा, ५ ज्ञानात्मा, ६ दर्शनात्मा, ७ चारित्रात्मा अने ८ वीर्यात्मा. [प्र०] हे भगवन् ! जेने द्रव्यात्मा होय तेने शु कषायात्मा होय अने जेने कषायात्मा होय तेते शुं द्रव्यात्मा होय ? [उ०] हे गौतम ! जेने द्रव्यात्मा होय तेने कषायात्मा कदाचित् होय अने कदाचित न होय, पण जेने कषायात्मा होय, तेने तो अवश्य द्रव्यात्मा होय. [प्र.] हे भगवन् ! जेने द्रव्यात्मा होय तेने योगात्मा होय ? (अने जेने योगात्मा होय तेने द्रव्यात्मा होय ?) [उ०] ए प्रमाणे जेम द्रव्यात्मा अने करायात्मानो संबन्ध कह्यो तेम द्रव्यात्म अने योगात्मानो संबन्ध कहेवो. [प्र०] हे भगवन् ! जेने द्रव्यात्मा होय तेने उपयोगात्मा होय ? (अने जेने उपयोगात्मा होय तेने द्रव्यात्मा होय !) ए प्रमाणे सर्वत्र प्रश्न करवो. [उ०] हे गौतम ! जेने द्रव्यात्मा होय तेने उपयोगात्मा अवश्य होय, अने जेने उपयोगान्मा होय तेने पण द्रव्यात्मा अवश्य होय, जेने द्रव्यात्मा होय तेने ज्ञानात्मा भज. नाए-विकल्पे होय, अने जेने ज्ञानात्मा होय तेने द्रव्यात्मा अवश्य होय. जेने द्रव्यात्मा होय तेने दर्शनात्मा अवश्य होय, जेने दर्शनात्मा होय तेने द्रव्यात्मा पण अवश्य होय, जेने द्रव्यात्मा होय तेने चारित्रात्मा भजनाए-विकल्प होय, अने जेने चारित्रात्मा होय तेने द्रव्यात्मा अवश्य होय. ए प्रमाणे वीर्यात्मानी साथे पण संबन्ध कहेवो.
जस्म णं भते! कसायाया तस्स जोगाया पुच्छा, गोयमा! जस्स कसायाया तस्म जोगाया नियम अत्धि,
RASHARACTERESERIESRAE
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