________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
अधिकरण पण छे. [प्र०] हे भगवन् ! र प्रमाणे शा हेतुथी कहो छो के 'जीव अधिकरणी पण छे अने अधिकरण पण छे! [उ.] व्याख्या- || हे गौतम! अचिरतिने आश्रयी, अर्थात अविरतिरूप हेतुथी जीच अधिकरणी पण छ अने अधिकरण पण छे. [प्र०] हे भगवन् । तारके प्रज्ञासिल नरयिक अधिकरणी के के अधिकरण १ [30] हे गौतम! नरयिक अधिकरणी पण छे अने अधिकरण पण छे, जेम जीव संबंधे
उदेश ॥१३६६॥
कह्यु नेम नैरयिक संबंधे पण जाणवू, अने ए प्रमाणे यावर निरंतर वैमानिक सुधीना जीव संबन्वे पण जाणवं. [प्र.] हे भगवन् ! ॐ जीव साधिकरणी छे के निरधिकरणी छे? [उ.] हे गौतम! जीव साधिकरणी छे, पण निरधिकरणी नथी. [प्र०] हे भगवन् ।
ए प्रमाणे शा हेतुथी कहो छो के 'जीव साधिकरणी छे अने निरधिकरणी नथी'१ [उ०] हे गौतम! अविरतिने आश्रयी, अर्थात् अवरतिरूप हेतुथी जीवो साधिकरणी छे, पण निरधिकरणी नथी. ए प्रमाणे यावत् वैमानिको सुधी जाणवं. [म.] हे भगवन् ! j जीव आत्माधिकरणी छे, पराधिकरणी छे के तदुभयाधिकरणी छे ? [उ०] हे गौतम! जीव आत्माधिकरणी छे, पराधिकरणी छ अने तदुभयाधिकरणी . [4] हे भगवन् । एप्रमाणे शा हेतुथी कहो छो के 'जीव आत्माधिकरणी, पराधिकरणी अने तदुभयाधिकरणी पण छ ? [3] हे गौतम ! अविरतिने आश्रयी, अर्थात् अविरतिरूप हेतुथी जीव यावत्-निाधिकरणी नथी. ए प्रमाणे यावत् वैमानिको सुधी जाणवू. [अ०] हे भगवन् ! जीवोनुं अधिकरण आत्मप्रयोगयी थाय थे, परप्रयोगथी थाय के के भय प्रयोगथी थाय ने १ [उ.] हे गौतम ! जीवोनुं अधिकरण आत्मप्रयोगधी, परप्रयोगयी अने तदुभयप्रयोगथी पण धाय छे. [म.] | हे भगवन् ! ते ए प्रमाणे आप शा हेतुथी कहो छो के जीवोनुं अधिकरण आत्मप्रयोगथी, परप्रयोगथी अने तदुभयप्रयोगपी थाय. PID ? [30] हे गौतम ! अविरतिने आश्रयी, अर्थात् जीवोर्नु अधिकरण अविरतिरूप हेतुथी यावद तदुमयप्रयोगथी थाय छे. |
RICA
For Private And Personal