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॥१२८००
Shri Mahavir Jain andra
Acharya Shri पोतानी उच्च तेजोलेश्याने पाछी खेंचीने ते आ प्रमाणे बोल्यो-'हे भगवन ! में बाण्यु, हे भगवन् ! में जाण्यु.' त्यारपछी मख
लिपुत्र गोशालके मने ए प्रमाणे कां के 'हे भगवन्! आ युकाना शय्यातर बालतपस्वीए आपने 'हे भगवन् ! में जाण्यु, हे प्राप्तिः १२८०॥
भगवन् ! में जाण्यु' --- एम शु का ? त्यारे हे गौतम ! मंखलिपुत्र गोशालकने में आ प्रमाणे कयु के-हे गोशालक ! तें वेश्यायन बालतपस्वीने जोयो अने जोईने मारी पासेथी धीमे धीमे तुं पाछो गयो, पाछो जईने ज्यां वेश्यायन बालतपस्वी हतो त्यां गयो, अने त्यां जईने तें वेश्यायन बालतपस्वीने एम कह्यु के-'शुं तमे मुनि छो, चसकेल छो के यूकाना शय्यातर छो? तो पण वेश्यायन बालतपस्वीर तारा ए कथननो आदर-स्वीकार न कयों अने ते मौन रह्यो. त्यारवाद हे गोशालक! तें वेश्यायन बालत पस्वीने बीजीवार अने त्रीजीवार पण प प्रमाणे का के-'तमे मुनि छो, चसकेल छो के यूकाना शय्यातर छो? त्यारवाद ज्यारे तें बीजीवार अने त्रीजीवार पण ए प्रमाणे का एटले ते वेश्यायन बालतपस्वी गुस्से थयो, अने यावत्-पाछो जईने तारो वध करवा माटे तेयो शरीरमाथी तेजोलेश्या बहार काढी. त्यारपछी हे गोशालक ! में तारी दयाथी वेश्यायन बालतपस्वी तेजोलेश्यानु प्रतिसंहरण करवा माटे ए अक्सरे में शीत तेजोलेश्या मूकी, यावत् नेणे तेनी उष्ण तेजोलेश्या प्रतिघात थएली जाणीने अने तारा शरीरने कइ पण थोडी के वधारे पीडा अथवा अवयवनो बेद नहि करायेलो ओईने पोतानी उष्ण तेओलेश्या पाछी खेंची लीधी अने पाछी खेंचीने मने ए प्रमाणे का के-'हे भगवन् ! में जाण्यु, हे भगवन् ! में जाण्यु.' त्यारवाद मंखलिपुत्र गोशालक मारी
पासेथी आवात सांभळी, हृदयमा अवधारी भय याम्यो, यावत्-भयभीत थई मने वंदन अने नमस्कार करी आ प्रमाणे बोल्यो151 'हे भगवन् ! (अप्रयोगकाळे) संक्षिप्त अने (प्रयोगकाळे) विपुल तेजोलेश्या केम प्राप्त थाय? त्यारे हे गौतम ! मंखलिपुत्र गोशालकने |
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