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बचाने अतिक्रमे छे, पांच मासना पर्यायवाळो श्रमण निर्गथ, ज्योतिष्कना इन्द्र, ज्योतिष्कना राजा चन्द्र अने सूर्यनी तेजो.
१४शनके सल्याने अतिक्रमे छे, छ मासना पर्यायवाळो श्रमण निर्गध सौधर्म अने ईशानवासी देवोनी (तेजोलेश्याने अतिक्रमे छे), सात
उद्देशा माला पर्यायवानो श्रमण निग्रंथ सनत्कुमार अने माहेन्द्र देवोनी, आठ मासना पर्यायवाळो श्रमण निग्रंथ ब्रह्मलोक अने लांतक 15॥१२५५० देवोनी, नव मासना पर्यायवाळो श्रमण निग्रंथ महाशुक्र बने सहस्रार देवोनी तेजोलेश्याने अतिक्रमे छ, दश मासना पर्यायवाको श्रमण निग्रंथ आनत, प्राणत, आरण अने अच्युत देवोनी तेजोलेश्याने अतिक्रमे , अगीयार मासना पर्यायवाळो श्रमण निग्रंथ देयक देवोनी अने बार मासना पर्यायवाळो श्रमण निग्रंथ अनुत्तरौपपातिक देवोनी तेजोलेश्याने अतिक्रमे छे. त्यार बाद शुद्ध अने शुद्धतर परिणामवाळो थइने पछी सिद्ध थाय छे, यावत्-सर्य दुःखोनो अन्त करे छे. 'हे भगवन् ! ते एमज छे, हे भगवन् ! ते एमज छ'-एम कही यावत विहरे छे. ॥५३७ ॥
भगवत् सुधर्मस्वामीप्रणीत श्रीमद् भगवतीसूचना १४ मा शतकमां नवमा उद्देशानो मलार्थ संपूर्ण थयो.
BARAKHAND
उद्देशक १०. - केवली णं भंते ! छउमत्थं जाणइ पासइ , हंता जाणइ पासइ, जहा भंते ! केवली छउमत्थं जाणइ पासह तहा णं सिद्धेवि छउमत्थं जाणइ पासह?, हंता जाणइ पासइ, केवली णं भंते ! आहोहिय जाणइ पासइ एवं घेव, एवं परमाहोहिय, एवं केवलिं एवं सिद्ध जाव जहा णं भंते! केवली सिद्ध जाणइ पासइ तहाणं सि-है।
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