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प्रजाति ॥१२४४॥
उद्देश ॥११४
SAGAR
पभाए पुढवीए जोतिसस्स य केवतिय पुच्छा, गोयमा ! सत्तनउए जोयणसए आवाहाए अंतरे पण्णते, जोति. सस्स णं भंते ! सोहम्मीसाणाण य कप्पाणं केवतियं पुच्छा, गोयमा! असंखेज्जाई जोयण जाव अंतरे पण्णत्ते, सोहम्मीसाणाणं भंते ! सर्णकुमारमाहिंदाण घ केवतियं एवं चेव, सणंकुमारमाहिवाणं भंते ! बंभलोगस्स कप्पस्स य केवतियं एवं चेष, बंभलोगस्स णं भंते ! लंतगस्स य कप्पस्स केवतियं एवं चेब, लतयस्स गं भंते! महासुक्कस्स कप्पस्स केबतियं एवं चेव, एवं महामुक्कस्स कप्पस्स सहस्सारस्स य, एवं सहस्सारस्स आणयपाणयकप्पाणं, एवं आणयपाणयाण य कप्पाणं आरणच्चुयाण य कप्पाणं, एवं आरणच्चुयाणं गेविजविमाणाण य, एवं गेविज विमाणाणं अणुसरविमाणाण य । अणुत्तरविमाणाणं भंते। ईसिंपळभाराए य पुढवीए केवतिए पुच्छा, गोयमा! दुचालसजोयणे अवाहाए अंतरे पण्णत्ते, ईसिंपन्भाराए णं भंते ! पुढवीए अलोगस्स य केवतिए अथाहाए पुच्छा, गोयमा ! देसूर्ण जोयणं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते (सूत्रं ५२७)। | [म.] हे भगवन् ! आ रत्नप्रभा पृथ्वी अने शर्कराप्रभा पृथ्वीन अबाधावडे-व्यवधानवडे केटलं अन्तर कहेलु छ ? [उ.]
हे गोतम! असंख्य लाख योजन [ अबाधाए] अंतर कहेलुं छे. [40] हे भगवन् ! शर्कराप्रभा अने चालुकाप्रभा पृथिवीनु केटो अबाधा५ बड़े अंतर कयु छ। [उ०) हे गौतम ! पूर्ववद जाणवू, ए प्रमाणे यावत्-तमा-छट्ठी नरकपृथिवी अने अधःसप्तम-सातमी नरक | पृथिवी सुधी जाणवु [40] हे भगवन् ! सातमी नरक पृथिवी अने अलोकन केटल अबाधावडे अंतर को छे? [उ०] हे गौतम! असंख्य लाख योजन अबाधाए अंतर का छे. [म.] हे भगवन् ! आ रत्नप्रभा पृथिवी अने ज्योतिषिकर्नु (सूर्य-चन्द्रादिन)
KRECRUCIA-PLA
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