________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
व्याख्याप्रशिः
॥ ९०० ॥
3435
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
णिणी अप्पड्ढीयाए वैमाणिणीए मज्झमज्झेणं वीइवएज्जा ?, हंता वीइवएज्जा, सा भंते! किं विमोहित्ता पभू तहेव जाव पुवि वा वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा एए चत्तारि दंडगा ॥ ( सू० ४०१ ) ॥
[ro] हे भगवन् ! समानशक्तिवालो देव समानशक्तिवाळी देवीनी बच्चोवच थइने जाय १ [३०] हे गौतम! ए प्रमाणे पूर्वनी पेठे देवनी साथे देवीनो दंडक कहेवो, यावत् वैमानिक सुधी जाणवुं [प्र० ] हे भगवन् ! अल्पशक्तिवाळी देवी महाशक्तिवाला देवनी • वचोवच थहने जाय ? [अ०] हे गौतम! न जाय, ए प्रमाणे अहीं त्रीजो दंडक पूर्व प्रमाणे कहेवो; यावत् - [प्र०] 'हे भगवन् ! महा-| शक्तिवाळी वैमानिक देवी अल्पशक्तिवाळा वैमानिक देवनी वचोवच थइने जाय ? [अ०] हा, गौतम ! जाय.' [ प्र० ] हे भगवन् ! | अल्पशक्तिवाळी देवी मोटी शक्तिवाळी देवीनी बचोबच थड़ने जाय १ [ उ ] हे गौतम! आ अर्थ योग्य नथी. ए प्रमाणे समानशक्तिवाळी देवीनो समानशक्तिवाळी देवी साथे, तथा महाशक्तिवाळी देवीनो अल्पशक्तिवाळी देवी साथे ते प्रमाणे आलापक कदेवा, अने ए रीते एक एकना त्रण त्रण आलापक कहेवा. यावत् - [प्र०] 'हे भगवन् ! मोटीशक्तिवाळी वैमानिक देवी अल्पशक्तिवाळी वैमानिक देवीनी बचावच थहने जाय १ [उ०] द्दा, गौतम ! जाय; यावत् - [ प्र० ] 'हे भगवन् । शुं ते महाशक्तिवाळी देवी विमोह पमाडीने जइ शके (के विमोह पमाडया बिना जह शके १ वळी पहेलां विमोह पमाडे, अने पछी जाय के पहेलां जाय अने पछी विमोह पमाडे ? [ उ० ] हे गौतम) पूर्व प्रमाणे जाणवुं यावत् ' पूर्वे जाय अने पछीथी विमोह पमाडे' त्यां सुधी कहेनुं. ए प्रमाणे ए चार दंडक कहेवा. ॥ ४०१ ॥
आसंस्स णं भंते! धावमाणस्स किं खुखुत्ति करेति १, गोयमा ! आसस्स णं धावमाणस्सं हिदपस्स जग
For Private And Personal
-9%%%%%%%%+6
66
१० शतके उद्देश१३ ॥ ९००॥