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यदेसा अहवा एगिदियदेसा य बेइंदियस्स देसे १ अहवा रागैदियदेसा य बेइंदियस्स देसा २ अहवा एरागैदियव्याख्या| देसा य बेइंदियाण य देसा ३ अहवा एगिदियदेसा तेइंदियस्स देसे एवं चेव तियभंगो भाणियव्यो एवं जाव
|१०शतके प्राप्तिः अणिदियाण तियभंगो, जे जीवपएसा ते नियमा एगिदियपएसा अहवा एगिदिपपएसा य बेइंदियस्स पएसा
लाउरेशर ॥८९०॥ अहवा एगिदियपदेसा य बेइंदियाण य पएसा एवं आइल्लविरहिओ जाब अणिदियाण, जे अजीवा ते दुविहा८९०॥
5] पन्नत्ता,तंजहा-रूविअजावा य अरूवीअजीवा य, जे रूवीजीवा ते चउब्विहा पनत्ता, तंजहा-खंधा जाव परमा| णुपोग्गला ४, जे अरूची अजीवा ते सत्तविहा पन्नत्ता, तंजहा-नोधम्मत्यिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे धम्मत्थिकायस्स पएसा एवं अधम्मत्थिकायस्सवि जाच आगासत्यिकायस्स पएसा अद्धासमए । विदिसासु नत्यि जीवा देसे भंगो य होइ सम्वत्थ ।। जमा णं भंते । दिसा किं जीवा जहा इंदा तहेच निरवसेसा, नेरई य जहा अग्गेयी, | वारुणी जहा इंदा,वायब्वा जहा अग्गेयी, मोमा जहा इंदा, ईसाणी जहा अग्गेयी, विमलाए जीवा जहा अग्गेयी, * अजीवा जहा इंदा, एवं तमाएवि, नवरं अरूवी छविहा, अद्धासमयो न भन्नति ॥ ( सूत्रं ३९४) | प्र०] हे भगवन् ! आग्नेयी दिशा (अग्निकोण) \१ जीवरूप छे, २ जीवदेशरूप छे के ३ जीवप्रदेशरूप छे-इत्यादि प्रश्न करचो. [उ.] हे गौतम! १ नोजीवरूप जीवना देश अने २ जीवना प्रदेशरूप छे, ३ अजीवरूप के, ४ अजीवना दशरूप के अने ५ अजीवना प्रदेशरूप पण छे. तेमा जे जीवना देशो छे ते अवश्य एकेन्द्रिय जीवना देशो छ, १ अथवा एकेन्यिोना देशो अने बेहन्द्रयजीवनो देश छे, २ अथवा एकेन्द्रियोना देशो अने बेइन्द्रियना देशो के ३ अथवा एकेन्द्रियोना देशो अने बेइन्द्रियोना देशो
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