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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsun yanmandir प्रतिः I ॥१०५९॥ १२शतके उदेश X॥१०५९४ SCREWARA [प्र०] हे भगवन् ! असंख्याता परमाणुपुठूलो एकठा मळे, अने पछी तेनु शु धाग? [उ.] हे गौमन! तेनो असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध थाय. जो तेना विभाग करीए तो चे, यावत् दस, संख्याता के असंख्याता विभाग थाय. जो बे विभाग करवामां आवे तो एक तरफ एक परमाणुपुद्गल अने एक तरफ असंख्यातप्रदेशिक स्कंध होय . यावद्-अथवा एक तरफ दशप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय हे. अथवा एक तरफ संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. अथवा बे असंख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय . जो तेना त्रण विभाग करवामां आवे तो एक तरफ वे परमाणुपुद्गलो अने | एक तरफ असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय है. अथवा एक तरफ एक परमाणुगल, एक तरफ द्विप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. यावद्-अथवा एक तरफ परमाणुपद्ल, एक तरफ दशप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. अथवा एक तरफ ए परमाणु, अने एक तरफ वे असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय . अथवा एक तरफ द्विप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ वे असंख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. ए प्रमाणे यावद्-अथवा एक तरफ संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ चे असंख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय के. अथवा त्रण असंख्यातप्रदेशात्मक स्कन्धो होय के. जो तेना चार भाग करवामां आवे तो एक तरफ त्रण परमाणुओ अने एक तरफ एक असंख्यातप्रदेशात्मक स्कन्ध होय छे. ए प्रमाणे चतुष्कसंयोग, यावद् दशकसंयोग जाणवो. अने ए सर्व संख्यातप्रदेशिकनी पेठे जाणवू, परन्तु एक 'असंख्यात' शब्द अधिक कईवो. यावद्-अथवा दश असंख्यातप्रदेविक स्कन्धो होय के. जो संम्ख्याता विभाग करवामां आवे तो एक तरफ संख्याता परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ असंख्यातप्रदेशात्मक स्कन्ध होय छे. अथवा एक तरफ संख्याता द्विप्रदेशिक स्कन्धो अने एक तरफ असंख्यात CREN446 For Private And Personal
SR No.020109
Book TitleBhagvati Sutram Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1939
Total Pages235
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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