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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥१०५४॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir अथवा एक तरफ पांच परमाणुओ अने एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध तथा एक त्रिःप्रदेशिक स्कन्ध होय छे, अबवा एक तरफ चार परमाणुओ, अने एक तरफ त्रण द्विप्रदेशिक स्कन्धो होय छे, तेना आठ विभाग करवामां आवे तो एक तरफ सात (जूदा ) परमाणुओ अने एक तरफ एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होय है. अथवा एक तरफ छ परमाणुओ, अने एक तरफ वे द्विप्रदेशिक स्कन्धो होय, तेना व विभाग करवामां आवे तो एक तरफ आठ परमाणु अने एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध होय े, अने जो तेना दश विभाग करवामां आवे तो जुदा दश परमाणुओ थाय छे. संखेज्जा भंते! परमाणुपोग्गला एगयओ साहनंति एगयओ साहण्णित्ता किं भवति ? गोयमा ! संखेज्जपएसिए वे भवति, से भिनमाणे दुहावि जाव दसहावि संखेज्जहावि कज्जति, दुहा कजमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवति अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवति एवं अहवा एगयओ तिपएसिए एगयओ सं० खंधे भवति एवं जाव अहवा एगयओ दमपएसिए संघे एगयओ संखे एसिए खंधे भवति अहवा दो संखेज्जपपसिया खंधा भवंति तिहा कज्रमाणे एगयओ दो परमाणु० एगयओ संखेज पसिएखंधे भवति अहवा एगयओ परमाणु एगयओ दुपएसिए संधे एगयओ संखेज्जपएसिए संघ भवति जहवा एगयओ परमाणु० एगयओ तिपएसिए खंधे० एगयओ संखेजपरसिए बंधे भवइ एवं जाव अहवा एगयओ परमाणु एगयओ दसपएसिए खंधे० एगयओ संखेबपएसिए खंघे भवति अहवा एगयओ परमाणु० एमयओ दो संखेज्जपएसिया संधा भवंति अहवा एगयओ दुपएसिए० एगपओ दो संखेज्जपएसिया संधा भवंति एवं For Private And Personal १२ शतके उद्देशा ॥१०५४॥
SR No.020109
Book TitleBhagvati Sutram Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1939
Total Pages235
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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