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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalashsagarsun Gyanmandir १२शतके | तरफ छपदेशिक स्कंध थाय छे. अथवा एक तरफ एक परमाणु, एक तरफ त्रिप्रदेशिक स्कंध, अने एक तरफ पंचप्रदेशिक स्कंध थाय वाख्या छे. अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल अने एक तरफ वे चतुष्प्रदेशिक स्कंधो धाय छे. अथवा एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कंध, ज्ञप्तिः माएक तरफ त्रिप्रदेशिक स्कंध अने एक तरफ चतुष्प्रदेशिक स्कंध थाय छे. अथवा त्रण त्रिप्रदेशिक कंधो थाय ने. तेना चार भाग 51 उदेशः४ १०५२८ थाए तो एक तरफ त्रण परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ छप्रदेशनो एक स्कंधथाय के. अथवा एक तरफ ये परमाणुगलो एक तरफ T॥१०४९० एक द्विप्रदेशिक अने एक तरफ पंचप्रदेशिक स्कंध थाय छे. अथवा एक तरफ वे परमाणुपुद्गलो, एक तरफ त्रिप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ चारप्रदेशिक स्कंध थाय छे. अथवा एक तरफ एक परमाणु पद्गल, एक तरफ वे द्विप्रदेशिक स्कंधो, अने एक तरफ चतु. प्रदेशिक स्कंध थाय छे. अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल, एक तरफ एक द्विप्रदेसिक स्कंध अने एक तरफ वे त्रिप्रदेशिक स्कंधो याय छे. अथवा एक तरफ त्रण द्विप्रदेशिक स्कन्धो अने एक तरफ एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध थाय छे. पांच भाग थाय तो एक तरफ जुदा चार परमाणुओ अने एक तरफ एक पंचनदेशिक स्कंध धाय छे. अथवा एक तरफ त्रण परमाणुओ अने एक तरफ द्विप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ चतुष्पदेशिक स्कंध थाय छे. अथवा एक त्रण परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ चे त्रिप्रदेशिक स्कंधो थाय छे. अथवा एक तरफ के परमाणुपुद्गलो, एक तरफ वे द्विप्रदेशिक स्कंधो अने एक त्रिप्रदेशिक स्कंध थाय छे. 'अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल अने एक तरफ चार द्विप्रदेशिक स्कंधो थाप छे. जो तेना छ भाग करवामां आवे तो एक तरफ पांच परमाणुष गलो अने एक तरफ एक चतुष्प्रादेशिक स्कंध होय छे. अथवा एक तरफ चार परमाणुपुद्रलो, पक तरफ द्विप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ त्रिप्रदेशिक स्कंध होय छे. अथवा एक तरफ त्रण परमाणुओ अने एक तरफ त्रण द्विप्रदेशिक स्कंधो होय छे. जो तेना सान * * * For Private And Personal
SR No.020109
Book TitleBhagvati Sutram Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1939
Total Pages235
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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