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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir | १२शतके उद्देशा ॥१०२८॥ भगवंता उप्पन्ननाणदंसणधरा जहा खंदए जाव सवन्नू सव्वदरिसी एए णं बुद्धा बुद्धजागरियं जागरंति, जे इमे व्याख्या- अणगारा भगवतो ईरियासमिया भासासमिया जाव गुत्तभचारी एए गं अबुद्धा अबुद्धजागरियं जागरंति, जे प्रतिक - हमे समणोवामगा अभिगयजीवाजीवा जाब विहरन्ति एते ण सुदक्खुजागरियं जागरिंति, से तेंणद्वेणं गोयमा ! २८॥ एवं बुचइ तिविहा जागरिया जाव सुदक्खुजागरिया (सूत्रं ४६९)॥ [प्र.] 'भगवन्! ए प्रमाणे कही भगवान् गौतम श्रमण भगवंत महावीरने वांदे छे, नमे डे, वांदी अने नमी तेणे आ प्रमाणे का- हे भगवन् ! जागरिका केटला प्रकारनी कही के ? [30] हे गौतम ! जागरिका त्रण प्रकारनी कही छे, ते आ प्रमाणे-१ बुद्धजागरिका, २ अबुद्धजागरिका अने ३ सुदर्शनजागरिका. [40] हे भगवन् ! तमे ए प्रमाणे शा हेतुथी कहो छो के 'जागरिका ४ात्रण प्रकारनी छे, ते आ प्रमाणे-बुद्धजागरिका, अबुद्धजागरिका अने सुदर्शनजागरिका' ? [उ.] हे गौतम ! जे उत्पन्न थयेला | जान अने दर्शनना धारण करनारा आ अरिहंत भगवंतो छे-इत्यादि स्कंदकना अधिकारमा कह्या प्रमाणे सर्वज्ञ अने सर्वदी ठे-ए| बुद्धो (केवलज्ञानवडे) बुद्धजागरिका जागे के. जे आ भगवंत अनगारो ईर्यासमितियुक्त, भापासमितियुक्त अने पावत् गुप्त ब्रह्मचारी के, तेओ (केवलज्ञानी नहि होवाथी) अबुद्ध छे अने तेओ अबुद्धजागरिका जागे छे. तथा जे आ श्रमणोपासको जीवाजीवने जाणनारा छे, यावत् तेओ (सम्यग्दर्शनी होवाथी) सुदर्शनजागरिका जागे छे. माटे ते हेतुथी हे गौतम! ए प्रमाणे कयुछे के जागरिका त्रण प्रकारनी छे, यावत् मुदर्शनजागरिका के. ॥ ४३९ ॥ तए णं से संखे समणोवासए समण भ. महावीर चंद नम०२ एवं बयासी-कोहवसहे णं भंते। जीवे CARCIAS ACHHAKKAKIS For Private And Personal
SR No.020109
Book TitleBhagvati Sutram Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1939
Total Pages235
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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