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व्याख्या-15गपरिणत होय तो शुं तिर्यचयोनिकपंचेन्द्रियऔदारिकशरीरकायप्रयोगपरिणत होय के मनुष्यपंचेन्द्रियऔदारिकशरीरकायप्रयोगपप्रज्ञप्तिः रिणत होय ? [उ०] हे गौतम! तिर्यंचयोनिकऔदारिकशरीरकायप्रयोगपरिणत होय के मनुष्यपंचेन्द्रियऔदारिकशरीरकायप्रयोग- ८ शतके
ट्र उद्देशः१ परिणत होय. [प्र०] हे भगवन् ! जो ते एक द्रव्य तियंचयोनिककायप्रयोगपरिणत होय तो शुं जलचरतियंचयोनिककायप्रयोगप-| ॥५९५॥
रिणत होय के स्थलचर अने खेचरयोनिककायप्रयोगपरिणत होय? [उ.] पूर्व प्रमाणे यावत् खेचगेना [ संमूर्छिम, गर्भज, पर्याप्त ५९५० अने अपर्याप्त ] चार भेदो जाणवा.
जइ मणुस्सपाँचदिय जाध परिणए किं समुच्छिममणुस्सपंचिंदिय जाव परिणए गम्भवकंतियमणुस्स जाव परिणए ?, गोगमा ! दोसुवि, जइ गम्भवतियमणुस्स जाव परिणए किं पजत्तगब्भवतिय जाव परिणए| अपज्जत्तगब्भवतियमणुस्मपंचिंदियओरालियसरीरकायप्पयोगपरिणए ?, गोयमा! पज्जत्तगम्भवतिय जाव परिणए वा अपज्जत्तगम्भवतिय जाव परिणए १ । जइ ओरालियमीसासरीरकायप्पओगपरिणए किं एगिदियओरालियमीसासरीरकायप्प ओगपरिणए बेइंदियजावपरिणए जाव पंचेंदियओरालिय जाव परिणए?, गोयमा! एमिंदियओरालिय एवं जहा ओरालियसरीरकायप्पयोगपरिणएणं आलावगो भणिओ तहा ओरालियमीसासरीरकायप्पओगपरिणएणवि आलावगो भाणियब्वो, नवरं बायरवाउकाइयगन्भवतियपंचिंदियतिरिक्ख. जोणियगम्भवतियमणुस्साणं पामि णं पजत्तापजत्तगाणं, सेसाणं अपज्जत्तगाणं २ । जइ वेउदिवयसरीरकायप्पयोगपरिणए किं एगिदियवेउब्धियसरीरकायप्पओगपरिणए जाव पंचिंदियवेउब्वियसरीर जाव
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