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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir *** व्याख्याप्राप्ति // 783 // ** एगे पंक० एगे अहेसत्तमाए होजा 13 अहवा एगे रयण०एगे वालुया०एगे धूम एगे तमाए होजा 14 अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुय एगे धूम एगे अहेसत्तमाए होजा 15 अहवा एगे रयण.एगे वालुय०एगे तमाए पगे 9 शतके अहेसत्तमाए होजा 16 अहवा एगे रयण. एगे पंक० एगे धूम०एगे तमाए होजा 17 अहवा एगे रयण एगे पंक०81 उद्देश |एगे धूम एगे अहेसत्तमाए होज्जा 18 अहवा एगे रयण एगे पंक० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा 19/ // 783 // अहवा एगे रयण एगे धूम० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा 20 अहवा एगे सक्कर एगे वालुय० एगे पंकएगे धूमप्पभाए होज्जा 21 एवं जहा रयणप्पभाए उवरिमाओ पुढवीओ चारियाओ तहा सक्करप्पभाएवि उवरि| माओ चारियव्वाओ जाव अहवा एगे सकर० एगे धूम० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा 30 अहवा एगे | वालुय. एगे पंक एगे धूम० एगे तमाए होज्जा 31 अहवा एगे वालुय० एगे पंक० एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा 32 अहवा एगे बालुय० एगे पंक० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा 33 अहवा एगे वालुय० एगे धूम० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा 34 अहवा एगे पंक० एगे धूम० एगे तमाए एगे अहसत्तमाए होज्जा 35 // 1 अथवा एक रत्नप्रभामां एक शर्कराप्रभामा एक वालुकाप्रभामां अने एक पंकप्रभामां होय 2 अथवा एक रत्नप्रभामां एक शर्कराप्रभामां एक वालुकाप्रभामां अने एक धूमप्रभामां होय. 3 अथवा एक रत्नप्रभामां एक शर्कराप्रभामां एक वालुकाप्रभामां अने एक तमःप्रभामां होय. 4 अथवा एक रत्नप्रभामा एक शर्कराप्रभामां एक बालुकाप्रभामां अने एक अधःसप्तम नरकपृथिवीमां होय, * * * * * For Private and Personal Use Only
SR No.020108
Book TitleBhagvati Sutram Part 03
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1938
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size12 MB
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