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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥ ५२ ॥ 66 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उद्देशक ४. कति णं भंते! कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ ?, गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ, कम्म पगडीए पढमो उद्देसो नेयवो जाव मणुभागो सम्मत्तो । गाहा कइ पयडी कह बंधइ कइहि य ठाणेहि बंधई पयडी । कइ वेदेइ य पयडी अणुभागो कइविहो कस्स ? || १८ || (सू० ३९) [प्र० ] हे भगवन् ! कर्मकृतिओ केटली कही छे ! [अ०] हे गौतम कर्मप्रकृतिओ आठ कही छे, अहीं 'प्रज्ञापना' ना कर्मप्रकृति नामना श्रेवीशमा पदनो प्रथम उद्देशक जाणवो यावत् - अनुभाग समाप्तगाथार्थ:- केटली कर्मप्रकृति ! केवी रीते बांधे छे! केवलां स्थानोवडे प्रकृतिओने बांधे छे! केटली प्रकृतिओ वेदे छे ! अने कोनो केटला प्रकारनो रस छे ! ॥ ३९ ॥ जीवे णं भंते! मोहणिजेणं कडेणं कम्मेणं उदिनेणं उवहाएजा १, हंता उबट्टाएजा से भंते । किं विरिय त्ताए उबद्वापज्जा अवीरियत्ताए उबट्ठाएजा ?, गोयमा ! बीरियत्ताए उबट्ठाएजा, नो अवीरियत्ताए उवद्वापूजा, जड़ वीरियत्ताए उबढाएज्या किं बालवीरियत्ताए उबढाएजा पंडियबीरियन्त्ताए उबडाएजा बालपंडियबीरियत्ताए उबट्टाएला ?, गोयमा ! बालवीरियत्ताए उबट्टाएजा को पंडियबीरियत्ताए उबट्ठाएज्जा, णो बालपंडियबीरियत्ताप उबट्टाएजा । जीवे णं भंते! मोहणिजेणं कडेणं कम्मेणं उदिनेणं अवकमेजा ?, हंता अवकमेजा । से भंते! जाव बालपंडियबीरियत्ताए अवकमेजा ३१, गोयमा ! बालवीरियत्ताए अवक मेज्जा, नो पंडियवीरित्ताए अव For Private and Personal Use Only १ शतके उद्देशः ४ ॥ ५२ ॥
SR No.020106
Book TitleBhagvati Sutram Part 01
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherHiralal Hansraj
Publication Year1937
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size8 MB
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